अपने किस युद्धक विमान पर इतराता है चीन, किसके पास दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वायु सेना? आखिर कहां खड़ा है भारत?

चीन का दावा है कि उसकी हवाई ताकत में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के अलावा स्‍ट्रैटजिक बाम्‍बर्स और स्‍टील्‍थ ड्रोन भी शामिल हैं। दक्षिण चीन सागर में अमेरिका की बढ़ती मौजुदगी को मद्देनजर चीन ने वहां अपने युद्धक विमानों कोएयरक्राफ्ट कैरियर किलर मिसाइलों को भी लैस कर दिया है।

 

नई दिल्‍ली, भारत लगातार अपनी वायु सेना की ताकत में इजाफा कर रहा है। फ्रांसीसी रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ले भारत के दौरे के बाद एक बार फ‍िर फ्रांस का घातक राफेल जेट विमान सुर्खियों में रहा। उधर, चीन का दावा है कि उसके पास दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वायु सेना है। चीन का दावा है कि उसकी हवाई ताकत में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के अलावा स्‍ट्रैटजिक बाम्‍बर्स और स्‍टील्‍थ ड्रोन भी शामिल हैं। दक्षिण चीन सागर में अमेरिका की बढ़ती मौजूदगी के मद्देनजर चीन ने इस क्षेत्र में अपने युद्धक विमानों को एयरक्राफ्ट कैरियर किलर मिसाइलों के साथ लैस कर दिया है। गत महीने अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के पास सेना और नौसेना के क्षेत्र में सबसे बड़ी क्षमता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक चीन के पास दुनिया की तीसरे नंबर की हवाई ताकत है। आइए जानते हैं चीन की वायु क्षमता क्‍या है। भारत की तुलना में कितना मजबूत है पड़ोसी मुल्‍क।

चीन वायु सेना की विकास यात्रा

1- पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार चीनी वायु सेना और नौसेना के पास 28,00 विमान है। इसमें चीनी ड्रोन और ट्रेनर विमान शामिल नहीं हैं। इनमें से लगभग 800 चौथी पीढ़ी के जेट शामिल है। हालांकि, चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में स्‍टील्‍थ क्षमता नहीं होती। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी वायु सेना ने हाल के वर्षों में क्षेत्रीय एयर डिफेंस को छोड़कर आक्रामक और रक्षात्‍मक भूमिका के लिए खुद को तैयार किया है। वह लंबी दूरी तक मार करने वाली हवाई ताकत को बनाने के लिए काम कर रहा है।

2- 1980 के दशक में चीन का पहला स्‍वदेशी लड़ाकू विमान जे-8 था। यह पूर्व सोवियत संघ के विमानों की नकल थी। हालांकि, बाद में चीन ने इसका अपग्रेड वर्जन भी तैयार किया था। इस विमान का नाम जे-8 टू रखा गया था। इस विमान को तैयार करने में चीन को इतना समय लग गया कि वह तत्‍कालीन चुनौतियों से निपटने में नाकाम रहा। 1990 के दशक की शुरुआत में चीन ने अपनी इन्‍वेंट्री बढ़ाने और तकनीकी अनुभव हासिल करने के लिए चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को खरीदना शुरू किया था।

3- 1992 से 2015 के मध्‍य चीन ने रूस से एसयू-27, एसयू-30एमकेके और एसयू-35 लड़ाकू विमान खरीदे थे। चीन को जैसे ही ये जेट हासिल हुए चीन ने इनकी नकल करते हुए खुद इसके वर्जन तैयार करना शुरू कर दिया। चीन का जे-11 रूसी विमान एसयू-27 की टू कापी था। इस विमान में रूस के एसयू-27 की तरह कई खासियतें थी। इसमें 30 मिमी की गल, मिसाइलों के लिए 10 हार्डपाइंट, मैक 2 की तरह इस विमान की 60 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने की क्षमता थी। वर्ष 2004 में चीन ने जे-11 के निर्माण को बंद कर दिया। चीन ने रूस के साथ अपने साझा उत्‍पादन समझौते की शर्तों के विरुद्ध एक रिवर्स इंजीनियर संस्‍करण जे-11 बी का उत्‍पादन शुरू किया। इस लड़ाकू विमान के कई वैरिएंट चीनी वायु सेना और नौसेना में तैनात हैं।

4- चीन वायु सेना के पास एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भरने वाला जे-15 युद्धक विमान भी है। यह यूक्रेनी एसयू-33 की नकल है। चीन ने यूक्रेन से खरीदे गए एसयू-33 को चीन को बेचने के लिए राजी नहीं था। चीनी नौसेना में कम से कम तीन दर्जन जे-15 लड़ाकू विमान मौजूद हैं। यह चीन के दो एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर से आपरेट होने वाली एकमात्र फ‍िक्‍स्‍ड विंग विमान है। हालांकि, इस विमान को कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है, क्योंकि यह दुनिया में एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भरने वाले सबसे भारी लड़ाकू विमान भी हैं। चीन के दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर स्की जंप वाले हैं। ऐसे में इतने भारी एयरक्राफ्ट को इससे उड़ान भरने के लिए अपनी इंजन की पूरी ताकत लगानी पड़ती है। इस कारण यह लड़ाकू विमान न तो भरे ईंधन टैंक और ना ही पूरे हथियारों के साथ टेक-आफ कर सकता है।

चीन वायु सेना में पांचवी पीढ़ी का जे-20 लड़ाकू विमान

चीनी वायु सेना स्टील्थ फाइटर जेट J-20 पर की क्षमता पर इतराती है। वायु सेना के लिए यह गौरवपूर्ण उपलब्धि है। चीन का युद्धक विमान J-20 संभवत यूएस स्टील्थ प्रोग्राम से चुराई गई जानकारियों पर आधारित है। इसे चीन की चेंगदू एयरोस्पेस कार्पोरेशन ने बनाया है। इस विमान को शक्तिशाली करने के लिए दो इंजन लगे हुए हैं। चीन का दावा है कि यह लड़ाकू विमान स्टील्थ तकनीकी से लैस है। इस विमान को कोई भी रडार नहीं पकड़ सकता है। यह दुनिया का तीसरा आपरेशनल फाइटर जेट है। J-20 की क्षमता 1,200 किलोमीटर है, जिसे 2,700 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है। यह विमान 37013 किलोग्राम के कुल वजन के साथ उड़ान भरने में सक्षम है। इसमें फ्यूल और हथियार भी शामिल हैं। यह लड़ाकू विमान 66,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। चीन का दावा है कि यह 2000 किलोमीटर के इलाके में किसी भी ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है। इस जेट में 11340 किलोग्राम तक का जेट फ्यूल भरा जा सकता है।

चीन का धातक विमान, कितना खतरनाक

जे-16डी युद्धक विमान को जे-16 को अपग्रेड किया गया है। यह एक ट्विन सीटर, ट्विन इंजन वाला हैवी फाइटर जेट है। चीन का दावा है कि इस लड़ाकू विमान को स्वदेशी तकनीक के आधार पर विकसित किया है। यह एक मल्टीरोल फाइटर जेट है। इसका इस्तेमाल हमलावर और रक्षात्मक दोनों तरह की भूमिकाओं में किया जा सकता है। यह लड़ाकू विमान चीनी वायु सेना में अभी तक कमीशन किए गए किसी अन्‍य विमानों की तुलना में अधिक अडवांस है। इसमें चीन के दूसरे लड़ाकू विमानों की तुलना में फायर कंट्रोल सिस्टम, रडार और आपरेशन सिस्टम्स को उन्नत किया गया है। यह विमान कई तरह के आधुनिक उपकरणों की एक विस्तृत सीरीज को लेकर उड़ान भर सकता है। इस विमान में इलेक्ट्रानिक सर्विलांस, कम्यूनिकेशन डिस्ट्रप्शन और रडार जाम करने वाले उपकरण लगे हुए हैं। इसके अलावा इसमें हवा से हवा में मार करने वाली कई आधुनिक मिसाइलें भी लगी हैं।

भारत के पास शक्तिशाल राफेल एयरक्राफ्ट

  • बिना एयर स्पेस बार्डर लांघे राफेल पाकिस्तान और चीन के भीतर 600 किलोमीटर तक के टारगेट को पूरी तरह से प्रभावित करने की क्षमता रखता है। एयर-टू-एयर और एयर-टू-सरफेस मारक क्षमता में सक्षम राफेल की रेंज 3700 किलोमीटर बताई जा रही है। 
  • विमान को हवा में ही ईंधन भरने की सुविधा है। जरूरत पड़ी तो राफेल दुश्मन के इलाके के भीतर जाकर 600 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी तक ताबड़तोड़ एयर स्ट्राइक कर सकता है। विमान की एक बड़ी खासियत यह है कि एक बार एयरबेस से उड़ान भरने के बाद 100 किलोमीटर के दायरे में 40 लक्ष्‍यों को एक साथ पकड़ने में सक्षम है। इसके लिए विमान में मल्टी डायरेक्शनल रडार फिट किया गया है। 
  • 100 किलोमीटर पहले से ही राफेल के पायलट को मालूम चल जाएगा कि इस दायरे में कोई ऐसा टारगेट है, जिससे विमान को खतरा हो सकता है। यह टारगेट दुश्मन के विमान भी हो सकते हैं। टू सीटर राफेल का पहला पायलट दुश्मनों के टारगेट को लोकेट करेगा। दूसरा पायलट लोकेट किए गए टारगेट का सिग्नल मिलने के बाद उसे बर्बाद करने के लिए राफेल में लगे हथियारों को आपरेट करेगा। 
  • राफेल दुश्मन के विमान के राडार को हवा में ही जाम कर सकता है। ऐसा करने से यह विमान दुश्मन के विमान को न केवल चकमा देने में सक्षम है, बल्कि दुश्मन के विमान को आसानी से हिट भी कर सकता है। 
  • राफेल के काकपिट में ऐसा सिस्टम डिजाइन किया गया है, जिससे युद्ध के दौरान पायलट का पूरा फोकस फ्लाइंग के साथ-साथ दुश्मन के टारगेट को हिट करने में एकाग्रता के साथ बना रहे। पायलट तुरंत टारगेट लोकेट करेगा और पूरी एकाग्रता के साथ उसे हिट करेगा इससे टारगेट मिस होने का चांस बहुत कम रहेगा। 
  • राफेल एक मिनट में करीब 60 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इससे भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण को गति मिलेगी। अभी तक भारतीय वायुसेना का मिग विमान अचूक निशाने के लिए जाना जाता था, लेकिन राफेल का निशाना इससे भी ज्यादा सटीक होगा। राफेल विमान फ्रांस की डेसाल्ट कंपनी द्वारा बनाया गया 2 इंजन वाला लड़ाकू विमान है।

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