प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अफगानिस्तान के मुद्दे पर अपने पुराने सहयोगी रूस से बात की है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मोदी की करीब 45 मिनट तक बातचीत हुई है। इस मुद्दे पर हुई दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच हुई ये बातचीत काफी अहम है।
नई दिल्ली , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अफगानिस्तान के मुद्दे पर अपने पुराने सहयोगी रूस से बात की है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से उनकी इस मुद्दे पर करीब 45 मिनट तक बातचीत हुई है। इस मुद्दे पर हुई दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच हुई ये बातचीत काफी अहम है। ऐसा इसलिए, क्योंकि रूस ने न सिर्फ तालिबान का समर्थन किया है, बल्कि ये भी कहा है कि उनका शासन अफगान सरकार से बेहतर होगा।
आपको बता दें कि तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा किया था। तब से ही वहां पर अफरातफरी का माहौल है। भारत समेत कई दूसरे देश वहां से अपने नागरिकों को सकुशल निकालने को अपनी प्राथमिकता बनाए हुए हैं। इस बीच तालिबान ने कहा है कि भारत ने अफगानिस्तान में जो विकास कार्यों की शुरुआत की थी उसको पूरा कर सकता है। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि तालिबान किसी विदेशी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
भारत अब तक अपने सैकड़ों नागरिकों को स्वदेश वापस ला चुका है। वहीं, तालिबान को लेकर भारत की बातचीत अमेरिका, ब्रिटेन से भी चल रही है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में इस मुद्दे पर अमेरिकी विदेश मंत्री से बात की थी। इसके अलावा दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बीच भी इस मुद्दे पर बातचीत हुई है। अफगानिस्तान के हालातों पर पीएम मोदी के नेतृत्व में दो बार सीसीएस की बैठक भी हो चुकी है।
आपको बता दें कि भारत ने अब तक तालिबान को लेकर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। हालांकि, भारत ने ये जरूर स्पष्ट किया है कि वो तालिबान की कही गई बातों पर विश्वास नहीं करता है। गौरतलब है कि भारत ने बीते दो दशकों के दौरान अफगानिस्तान के विकास के लिए करोड़ों का निवेश किया है। तालिबान की मौजूदगी में इस निवेश पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।