रूस और यूक्रेन से फर्टिलाइजर्स ऑयल और गैस की सप्लाई रूक गई है। जिसकी वजह से अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को ऑयल समेत इन प्रोडक्ट की सप्लाई के लिए अरब देशों पर निर्भर होना पड़ रहा है।
नई दिल्ली, अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की तरफ से रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। साथ ही दुनिया के बाकी मुल्कों पर रूस के साथ कारोबारी गतिविधियों को सीमित करने का दबाव डाला जा रहा है। हालांकि अमेरिकी दांव उल्टा पड़ गया है। रूस पर आर्थिक प्रतिबंध की वजह से अमेरिका में महंगाई ने दशकों पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, जिसके चलते दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की जा रही है, जिसका सीधा कनेक्शन रूस पर लगाए गए प्रतिबंध से है, आइए जानते हैं विस्तार से..
एसबीआई की पूर्व प्रमुख अर्थशास्त्री वृंदा जागीरदार ने दैनिक जारगण को बताया कि अमेरिका ने खुद मंहगाई को बुलाया है। बता दें कि अमेरिका में महंगाई दर 9 फीसदी के आंकड़े को पार कर गई है। इसमें से सबसे ज्यादा खाद्य महंगाई दर में इजाफा दर्ज किया किया जा रहा है। अमेरिका कॉर्न समेत कई चीजों को रूस और यूक्रेन जैसे देशों में आयात करता था। लेकिन रूस पर प्रतिबंध और यूक्रेन में जारी युद्ध के चलते इन सभी जरूरी चीजों की सप्लाई चेन पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। जिससे महंगाई अपने चरम पर पहुंच गई है। रूस और यूक्रेन से फर्टिलाइजर्स, ऑयल और गैस की सप्लाई रूक गई है। जिसकी वजह से अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को ऑयल समेत इन प्रोडक्ट की सप्लाई के लिए अरब देशों पर निर्भर होना पड़ रहा है। वहीं अरब देश अचानक से कच्चे तेल के प्रोडक्शन करने में असमर्थ हैं। यही वजह है कि कच्चे तेल की कीमत में इजाफा दर्ज किया जा रहा है।
भारत में महंगाई की मार कम
अगर भारत की बात करें, तो बाकी देशों के मुकाबले में यहां महंगाई दर कम है। वृंदा जागीदार ने बताया कि भारतीय रुपये जरूर अपने निचले पायदान पर पहुंच गया है। लेकिन अगर बाकी करेंसी के मुकाबले में तुलना करें, तो भारतीय रुपये में कम गिरावट दर्ज की जा रही है। बता दें कि सोमवार को रुपया अपने सबसे निचले 78 रुपये पर पहुंच गया था। हालांकि भारतीय प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदना जारी रखे हुए है। साथ ही इराक से रुपये में तेल की खरीददारी कर रहा है। मौजूदा वक्त में इराक और रूस भारत के सबसे बड़े तेल खरीददार बन गए हैं, जबकि सऊदी अरब खिसककर तीसरे पायदान पर पहुंच गया है। भारत ने मई में रूस से 2.5 करोड़ बैरल तेल खरीदा, जो कि भारत के कुल तेल आयात का 16 फीसदी है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है।
तेल मंगाना हुआ महंगा
कच्चे तेल की ढ़ुलाई महंगी हो गई है। इसकी वजह बीमा कंपनियां है। दरअसल बीमा कंपनियों ने ऑफर कम कर दिए हैं। साथ ही पहले की तरह छूट नहीं दे रही हैं। इससे बीमा और माल ढुलाई की दरें बढ़ गई हैं।