आईआरसीटीसी के शेयरों में आई गिरावट, 5 प्रतिशत नीचे आए स्टॉक के दाम

आईआरसीटीसी के शेयरों में गिरावट देखी जा रही है। इसके स्टॉक के दाम 5 प्रतिशत तक गिर चुके हैं। वहीं केंद्र ने अपनी कुछ हिस्सेदारी के बेचने का फैसला लिया है। ये शेयर ऑफर फॉर सेल के तहत लाए जाएंगे।

 

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क ।  हाल के दिन भारतीय रेलवे के लिए टिकट बुकिंग और खानपान सेवाओं की आपूर्ति में एकाधिकार रखने वाली इस कंपनी आईआरसीटीसी (IRCTC) के शेयरों के लिए उतना अच्छा साबित नहीं हो रहा है। इसके शेयरों दाम 5 प्रतिशत तक नीचे आ गए हैं। इसके पीछे का कारण हाल में केंद्र द्वारा 5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का ऐलान है। इस खबर के आते ही आईआरसीटीसी के शेयरों में गिरावट देखी गई है

 

बता दें कि केंद्र द्वारा इन 5 फीसदी शेयरों को ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत लाया जा रहा है और निवेशकों को बिक्री के लिए कुल 4 करोड़ इक्विटी शेयरों की पेशकश की जाएगी। गौरतलब है कि इसका मार्केट वैल्यूएशन करीब 56,076 करोड़ रुपए है।

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सबसे निचले स्तर पर पहुंचे IRCTC के शेयरशेयरों की बिक्री की खबर से IRCTC के शयरों की मांग में भारी गिरावट देखने को मिली है। सुबह लगभग 10.11 बजे तक IRCTC के शेयरों ने 34.25 अंक या 4.66% की गिरावट के साथ 700.45 रुपये पर प्रदर्शन किया। इस तरह स्टॉक अपने दिन के निचले स्तर पर था, जो कि 696.70 रुपये के करीब था। इससे ठीक एक दिन पहले इसके शेयरों की कीमत 734.70 रुपये था।

आज से मिल रहा बोली लगाने का मौकागैर-खुदरा निवेशकों के लिए 15 दिसंबर को ओएफएस के तहत बोली लगाने की अनुमति दी जाएगी और निवेशक 16 दिसंबर तक इसके शयरों में बोली लगा या संशोधित सकते हैं। ओएफएस का न्यूनतम 25% म्युचुअल फंड और बीमा कंपनियों के लिए आरक्षित है, जो फ्लोर प्राइस पर या उससे ऊपर वैध बोलियों की प्राप्ति के अधीन है।

 

दूसरी तरफ खुदरा निवेशक 6 दिसंबर को बोली लगा सकते हैं। OFS का 10 प्रतिशत खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित है। एक्सचेंज ऑफर शेयरों की संख्या तय करेंगे जो फ्लोर प्राइस के आधार पर खुदरा श्रेणी में विचार किए जाने के योग्य हैं।

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IRCTC के शेयरआईआरसीटीसी के शेयरों को सितंबर 2019 में सूचीबद्ध किया गया था, जिसके बाद से इसके स्टॉक की खूब चर्चा थी। हालांकि, कुछ समय में ही इसमें गिरावट दिखने लागी और साल-दर-साल आधार पर इसके शेयरों के दाम 10 प्रतिशत नीचे आ चुके थे।अक्टूबर में इसका कारोबार थोड़ा समान हुआ, लेकिन केंद्र की हिस्सेदारी कम होने की खबर से एक बार फिर इसके स्टॉक गिरने लगे हैं।

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