ड्रोन की उन्नत तकनीक कई तरह से दुनिया की तस्वीर बदलने की ताकत रखती है। प्रयोग की दृष्टि यह बहुत व्यापक है। अलग-अलग क्षेत्र में इसके इस्तेमाल की संभावनाओं पर एक नजर
नई दिल्ली, पांच अगस्त, 2019 को जब से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाया गया और यह अमन व शांति के साथ विकास की राह का अनुगामी बना, तब से पाकिस्तान और उसके पोषित आतंकी समूहों की रातों की नींद और दिन का चैन गायब है। भारत और पाकिस्तान के बीच 3,323 किमी लंबी नियंत्रण रेखा है। सुरक्षा एजेंसियां इस रेखा पर घुसपैठ रोकने के लिए मुस्तैद रहती हैं। अगस्त, 2019 के बाद सुरक्षाबलों ने सीमापार से होने वाली घुसपैठ पर एक तरह से लगाम लगा दी। सुरंग के माध्यम से आतंकियों के घुसने की रणनीति सहित अन्य तरीके भी निगरानी की जद में आ गए।
हाल ही में दोनों देशों के बीच हुए संघर्ष विराम ने भी घुसपैठ रोकने में मदद की। अब विकास के रास्ते पर आगे बढ़ते जम्मू-कश्मीर और लद्दाख इन आतंकियों को फूटी आंख भी नहीं सुहा रहे हैं। आतंकी विवश हैं। सीमा पर कड़ा पहरा है। भारतीय जवान मुस्तैद हैं, लिहाजा ड्रोन से आतंकी हमला करने का उन्होंने तरीका निकाला। पहली बार किसी भारतीय एयरबेस को ड्रोन से निशाना बनाने की आतंकियों ने हिमाकत की है। सुरक्षाबलों के मुताबिक, अगस्त, 2019 के बाद से अब तक करीब 300 ड्रोन देखे जा चुके हैं। आसमान में उड़ता यह खतरा नया तो है ही, गंभीर भी है। इसकी काट खोजने में भारतीय विज्ञानी और सुरक्षा एजेंसियां जुटी हुई हैं। जल्द ही हमारे पास आतंकी ड्रोन को मार गिराने या काबू करने की तकनीक होगी, जो इनके नापाक मंसूबों को नेस्तनाबूद करेगी। ऐसे में पंजाब से लेकर कश्मीर तक भारतीय सीमा क्षेत्र में आने वाले इन आसमानी खतरों और इनसे निपटने की रणनीति की पड़ताल आज हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है।
ड्रोन में दुनिया की तस्वीर को बदलने की ताकत : ड्रोन की उन्नत तकनीक कई तरह से दुनिया की तस्वीर बदलने की ताकत रखती है। प्रयोग की दृष्टि यह बहुत व्यापक है। अलग-अलग क्षेत्र में इसके इस्तेमाल की संभावनाओं पर एक नजर :
रक्षा क्षेत्र : युद्ध के लिए ड्रोन का इस्तेमाल बहुत समय से हो रहा है। मौजूदा समय में छोटे-छोटे ड्रोन का प्रयोग सेनाएं नियमित तौर पर भी करने लगी हैं। दुनियाभर की सेनाएं इन पर निवेश बढ़ा रही हैं। भारत भी इस मामले में पीछे नहीं है।
वन्यजीव संरक्षण : न मानवरहित विमानों का इस्तेमाल वन्यजीव संरक्षण में भी किया जाने लगा है। इनकी मदद से संकटग्रस्त प्रजातियों के शिकार पर लगाम लगाने की क्षमता बढ़ी है।
बीमारियों के प्रसार पर नजर : दन स्कूल ऑफ हाइजीन ने थर्मल इमेजिंग कैमरा वाले ड्रोन की मदद से ऐसे क्षेत्रों का पता लगाया था, जहां मलेरिया के मामले ज्यादा थे। यह तकनीक कई बीमारियों के प्रसार को थामने में मददगार हो सकती है।
आपात स्थिति : कैमरा टेक्नोलॉजी ने ड्रोन की ताकत को बढ़ाने में खासी मदद की है। आज कई आपातकालीन स्थितियों में ड्रोन की मदद से तेजी से राहत पहुंचाना संभव हो पाया है।
स्वास्थ्य क्षेत्र : कई कंपनियां दवाओं और अन्य जरूरी मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रही हैं। भारत में भी इस तरह का ट्रायल चल रहा है।
आपदा राहत : भूकंप और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं में भी ड्रोन टेक्नोलॉजी राहत कार्यो में मददगार हो रही है। ड्रोन की मदद से आपदाग्रस्त क्षेत्र में लोगों को खोजने में मदद मिलती है।
कंस्ट्रक्शन प्लानिंग : ड्रोन की मदद से किसी क्षेत्र के नक्शे को ध्यान में रखते हुए वहां बेहतर कंस्ट्रक्शन प्लानिंग की जा सकती है। कई सौ किलो के वजन उठाने में सक्षम ड्रोन इन्फ्रा निर्माण में भी मददगार हो सकते हैं।
कृषि क्षेत्र : कंपनियां फूलों के परागण से लेकर कृषि क्षेत्र की विभिन्न गतिविधियों के लिए ड्रोन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की संभावनाओं पर काम कर रही हैं।