मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया है कि आर्य समाज विवाहों में स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के प्रावधानों का पालन करना जरूरी है। जस्टिस के एम जोसफ और ऋषिकेश राय की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है।
नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक याचिका की सुनवाई पर सहमति जताई है जिसमें मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है। दरअसल हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि आर्य समाज विवाहों में स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के प्रविधानों का पालन करना जरूरी होगा। जस्टिस के एम जोसफ और ऋषिकेश राय की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। बेंच की ओर से मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा द्वारा दायर याचिका पर मध्य प्रदेश व अन्य को नोटिस जारी किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाया स्टे
शीर्ष कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया है। याचिकाकर्ता सोसाइटी ने 8 अक्टूबर 2021 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के डिविजन बेंच को चुनौती दी थी। आर्य मैरिज एक्ट और हिन्दू मैरिज एक्ट में विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act) की धारा पांच से लेकर आठ तक के प्रविधानों (Provisions) के पालन की बात नहीं कही गई है। इसलिए हाईकोर्ट का इसके पालन का आदेश देना गलत है। हाईकोर्ट ने अतिरिक्त शर्तें लगाने से उसे संविधान के अनुच्छेद 26 और 25 और 14 में मिले अधिकारों का उल्लंघन होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर लगाई रोक
करीब डेढ़ साल पहले हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने आदेश दिया था कि स्पेशल मैरिज एक्ट में हिंदू मैरिज एक्ट के प्रविधानों को भी शामिल किया जाए, जब तक ऐसा नहीं होता तब तक आर्य समाज मंदिरों में शादी नहीं हो सकेगी और न ही सर्टिफिकेट जारी किए जा सकेंगे। इस आदेश को मध्य भारतीय आर्य प्रतिनिधि सभा के मंत्री प्रकाश आर्य ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर, हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। इसके बाद मध्य प्रदेश के 273 से अधिक आर्य समाज मंदिरों में पहले की तरह शादियां होने का रास्ता साफ हो गया।