आश्रित न होने के बावजूद पति-पत्नी को मिलेगी चिकित्सा प्रतिपूर्ति, यूपी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने स्‍पष्‍ट क‍िया न‍ियम,

 सिर्फ पुत्र पुत्री व अन्य आश्रित जो उनके साथ निवास करते हैं उन पर ही लागू होगा। अभी उप्र सरकारी सेवक (चिकित्सा परिचर्या) नियमावली 2014 में परिवार की दी गई परिभाषा में यह स्पष्ट न होने के कारण संशय की स्थिति बनी रहती थी।

 

लखनऊ,  पति व पत्नी के एक-दूसरे पर आर्थिक रूप से आश्रित न होने के बावजूद भी उन्हें एक-दूसरे की चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाभ मिलेगा। अगर दोनों सरकारी सेवा में भी हैं तो भी उन पर चिकित्सा प्रतिपूर्ति के मामलों में यह नियम लागू नहीं होगा। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसे लेकर स्पष्टीकरण जारी कर दिया गया है।

आर्थिक रूप से आश्रित होने का नियम : सिर्फ पुत्र, पुत्री व अन्य आश्रित जो उनके साथ निवास करते हैं, उन पर ही लागू होगा। अभी उप्र सरकारी सेवक (चिकित्सा परिचर्या) नियमावली 2014 में परिवार की दी गई परिभाषा में यह स्पष्ट न होने के कारण संशय की स्थिति बनी रहती थी। जिसके कारण सरकारी नौकरी कर रहे पति या पत्नी दोनों में से किसी एक की इलाज के दौरान मौत हो जाने पर एक-दूसरे को चिकित्सा प्रतिपूर्ति का दावा करने पर लाभ नहीं मिल पाता था। कार्यालय में फाइल चक्कर काटती रहती थीं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी यह निर्देश सभी विभागों पर चिकित्सा प्रतिपूर्ति के मामलों पर लागू होगा।

नियमावली में नियम : इसमें उप्र सरकारी सेवक (चिकित्सा परिचर्या) नियमावली 2014 में नियम तीन (च) में उल्लिखित वाक्यांश जो सरकारी सेवक पर पूर्णतया आश्रित है और सामान्यता सरकारी सेवक के साथ निवास कर रहे हैं का संबंध नियम तीन (च) (दो) से है, जिसमें माता और पिता, पुत्र और पुत्री, अवयस्क भाई इत्यादि शामिल हैं। यह अगर चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाभ लेना चाहेंगे तो इनके लिए 3500 रुपये प्रति माह आय और पेंशन पाने वालों के लिए 3500 रुपये प्रति माह की मूल पेंशन पर अनुमन्य महंगाई के योग से अधिक आय नहीं है तो इन्हें पूर्णतया आश्रित मानते हुए यह लाभ दिया जाएगा। नियमावली में नियम तीन (च) (एक) में पति व पत्नी पर आर्थिक रूप से आश्रित होने का नियम लागू नहीं है।

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