उम्मीदवारों को मतदाता सूची उपलब्ध कराने के खिलाफ याचिका पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

देश को मतदाता सूची को छापने और चुनाव लड़ने वाले मान्यता प्राप्त दलों के उम्मीदवारों को मुफ्त में आपूर्ति करने के लिए लगभग 47.84 करोड़ रुपये का खर्च वहन करना पड़ा। दावा किया गया है कि मतदाता सूची छापने के लिए हर दिन करीब 31 पेड़ काटे जाते हैं।

 

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा है, जिसके तहत चुनाव आयोग हर उम्मीदवार को मतदाता सूची की दो प्रतियां देने के लिए बाध्य है।

दो अधिवक्ताओं द्वारा दायर जनहित याचिका में भारी खर्च के साथ-साथ बड़ी मात्रा में कागज के उपयोग को बचाने के लिए एक विकल्प की मांग की गई है।

आरोप लगाया है कि देश को मतदाता सूची को छापने और चुनाव लड़ने वाले मान्यता प्राप्त दलों के उम्मीदवारों को मुफ्त में उपलब्ध करने के लिए लगभग 47.84 करोड़ रुपये का खर्च वहन करना पड़ा।

मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के नियम 11 (सी) और 22 (सी) को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और मुख्य चुनाव आयुक्त को नोटिस जारी किया। पीठ ने कहा, ‘इन नियमों को चुनौती दी गई है और यह सुझाव दिया गया है कि अत्यधिक खर्च और कागज की बड़ी मात्रा के उपयोग को बचाने के लिए एक विकल्प तैयार किया जाए।’

हर दिन करीब  काटे जाते हैं 31 पेड़शीर्ष अदालत अधिवक्ता हरज्ञान सिंह गहलोत और संजना गहलोत द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के नियम 11 (सी) और 22 (सी) को चुनौती दी गई थी।

उन्होंने दावा किया कि मतदाता सूची छापने के लिए हर दिन करीब 31 पेड़ काटे जाते हैं।

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