एससीओ बैठक में भी दिखा इमरान का तालिबान प्रेम, अमेरिका पर बोला हमला,

पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का तालिबान प्रेम शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भी सामने आया। इमरान खान (Imran Khan) ने शुक्रवार को इस बैठक में परोक्ष रूप से अमेरिका पर भी निशाना साधा। जानें उन्‍होंने क्‍या कहा…

 

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का तालिबान प्रेम शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भी सामने आया। इमरान खान (Imran Khan) ने शुक्रवार को इस बैठक में परोक्ष रूप से अमेरिका पर भी निशाना साधा। उन्‍होंने कहा कि अफगानिस्तान को ‘बाहर से नियंत्रित’ नहीं किया जा सकता है। उनका मुल्‍क युद्धग्रस्त पड़ोसी देश में तालिबान की सरकार का समर्थन करना जारी रखेगा। यही नहीं उन्‍होंने दुनिया से अफगानिस्तान में तत्काल मानवीय सहायता दिए जाने की गुहार लगाई।

ताजिकिस्तान की राजधानी दुशान्बे में आयोजित 20वीं शंघाई सहयोग संगठन राष्ट्राध्यक्ष परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार को तत्काल मानवीय सहायता की जरूरत है। विश्‍व समुदाय को अवश्य याद रखना चाहिए कि तालिबान की सरकार मुख्य रूप से विदेशी मदद पर निर्भर है। रही बात पाकिस्‍तान की तो हमारा शांतिपूर्ण एवं स्थिर अफगानिस्तान में महत्वपूर्ण हित जुड़ा हुआ है। पाकिस्‍तान अफगानिस्‍तान में नई सरकार को सहयोग करना जारी रखेगा।

इमरान ने कहा कि अब यह सुनिश्चित करना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हित में है कि अफगानिस्‍तान में कोई नया संघर्ष ना हो और यह फिर कभी आतंकियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह ना बने। मौजूदा वक्‍त अफगान लोगों के साथ मजबूती के साथ खड़े होने का है। इमरान ने यह भी कहा कि तालिबान को भी अफगानिस्तान में किए गए अपने वादों को पूरा करना चाहिए जिसमें एक समावेशी राजनीतिक संरचना भी शामिल है। तालिबान को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्‍तान फिर से आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह ना बने।

तालिबान को लेकर इस लामबंदी के बीच अमेरिका की विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी के शीर्ष सांसदों ने तालिबान को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग की है। उनका कहना है कि तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार में ऐसे कई कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं जो संयुक्त राष्ट्र की ओर से आतंकी घोषित हैं। सांसदों ने अमेरिकी संसद में एक बिल पेश किया है जिसमें तालिबान सरकार को मान्यता देने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की गई है। अगर इस विधेयक पर संसद की मुहर लग जाती है तो अमेरिका को तालिबान सरकार को अवैध करार देना पड़ेगा।

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