असलम फारूकी मुलत पाकिस्तान का नागरिक है। उसके तार पाक से जुड़े हैं। असलम फारूकी आइएआइए प्रमुख बनाने से पहले उसके तार तहरीक ए तालिबान से जुड़े थे। तहरीक ए तालिबान से जुड़ने तक आइएसआइएस-के प्रमुख बनने का तक का सफर यहीं से शुरू किया।
काबुल / इस्लामाबाद, एजेंसी। अफगानिस्तान में तालिबान के प्रभुत्व के बाद काबुल हवाई अड्डे पर धमाकों की आवाज पूरी दुनिया में सुनाई पड़ी है। इसकी आवाज ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को विचलित कर दिया है। इस हमले के बाद पाकिस्तान की कलई एक बार खुल गई है। एक बार यह सिद्ध हो चुका है कि पाकिस्तान में आतंकवादियों का जलवा कायम है। काबुल में हुए धमाकों की जड़ पाकिस्तान में है। इस हमले की जिम्मेदारी आइएसआइएस-के ने लिया है। खास बात यह है कि इस आतंकी संगठन का मुखिया मावलावी अब्दुल्ला उर्फ असलम फारूकी है। असलम फारूकी मुलत: पाकिस्तान का नागरिक है। उसके तार पाक से जुड़े हैं। असलम फारूकी आइएआइए प्रमुख बनाने से पहले उसके तार तहरीक-ए-तालिबान से जुड़े थे। तहरीक-ए-तालिबान से जुड़ने तक आइएसआइएस-के प्रमुख बनने तक का सफर यहीं से शुरू किया।
फारूकी ने कबूल किया पाकिस्तान से लिंक
फारूकी ने पूछताछ में यह कबूल किया है कि वह पूर्व में लश्कर-ए-तैयबा से संबंद्ध था। यह हक्कानी नेटवर्क के साथ काबुल और जलालाबाद से आतंकी गतिविधियों को संचालित करता है। आइएसआइएस-के संगठन में जुड़ने से पूर्व वह पाक में सक्रिय तहरीक-ए-तालिबान से जुड़ा था। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान में सक्रिय एक आतंकवादी संगठन है। आइएसआइएस-के में मावलावी जिया उल हक उर्फ अबू ओमर खोरासानी बाद में इस आतंकी संगठन का प्रमुख बना।
इस हमले में भी फारूकी का हाथ था
27 मार्च, 2020 को काबुल गुरुद्वारे पर भी धमाका किया गया था। इसमें 26 अफगान सिख और एक भारतीय सिख की मौत हुई थी। इसके बाद 4 अप्रैल, 2020 को अफगान नेशनल सिक्योरिटी डायरेक्टरेट ने नांगरहार प्रांत से फारूकी को गिरफ्तार किया था। अफगानी एजेंसियों के मुताबिक, इस हमले में फारूकी का ही हाथ था। तालिबान ने कहा कि हमले में हमने अमेरिकी सैनिकों और उनके अफगान सहयोगियों को निशाना बनाया। वो लोग भी निशाने पर थे जिनकी पहचान हमने जासूस के तौर पर की थी। हमारे निशाने पर तालिबान नहीं था।
भारत ने की थी पूछताछ की अपील, पाक ने ठुकराया
बता दें कि फारूकी के बारे में भारत भी चिंता जता चुका है। भारत ने फारूकी से पूछताछ के लिए दबाव बनाया था, तब पाकिस्तान ने उसकी मांग ठुकरा दिया था। हालांकि, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने अफगानी राजनयिक को बुलाकर फारूकी को हैंडओवर करने की मांग की थी। माना जा रहा है कि पाकिस्तान को इस बात का डर था कि फारूकी अफगान और दूसरी एजेंसियों की पूछताछ में पाकिस्तान से अपने लिंक के बारे में सबकुछ उगल देगा। हालांकि, उससे इस बारे में कभी पूछताछ नहीं की गई। अफगानिस्तान ने पाकिस्तान की भी डिमांड को खारिज कर दिया और कहा कि फारूकी पर अफगानी कानून के हिसाब से ही कार्रवाई की जाएगी।
अपनी क्रूरता के लिए जाना जाता है ISIS-K
ISIS-K आतंकी संगठन सबसे पहले 2014 में पूर्वी अफगानिस्तान में सक्रिय हुआ। यह संगठन अपनी क्रूरता के लिए जाना जाता है। इस आतंकी संगठन का नाम नाम उत्तरपूर्वी ईरान, दक्षिणी तुर्कमेनिस्तान और उत्तरी अफगानिस्तान में आने वाले क्षेत्र के नाम पर रखा गया है। इस संगठन में तालिबान के असंतुष्ट लड़ाके भी शामिल हैं। दरअसल, इस आतंकी संगठन की ताकत इसलिए बढ़ती गई, क्योंकि तालिबान पश्चिमी देशों और सोच के प्रति नरम होता गया। इसके बाद जब अफगान सेना की मदद से इन असंतुष्ट लड़ाकों को बाहर निकाला गया तो ये अफगानिस्तान की सीमा पर आ गए और यहीं से संगठन का संचालन करने लगे।
बाइडन ने बदला लेने की कसम खाई
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कसम खाकर कहा कि काबुल एयरपोर्ट पर हुए आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को खोजकर मारेंगे। दोषियों को हमले में मारे गए 13 अमेरिकी सैनिकों और 18 घायलों के खून की कीमत चुकानी होगी। बाइडन ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा कि मेरे शासन में हमारे हितों और लोगों की रक्षा के लिए हर कदम उठाए जाएंगे। हमें उन्हें पकड़ कर इसके लिए सजा देंगे। उन्होंने कहा कि जिन्होंने इस हमले को अंजाम दिया है और अगर कोई है जो अमेरिका को नुकसान पहुंचाने का इरादा रखता है, हम कुछ भी माफ नहीं करेंगे। हम कुछ भी नहीं भूलेंगे।