केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती ने तंज कसा। किसी का नाम लिए बिना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉ. आंबेडकर और डॉ. लोहिया का जिक्र कर दोनों विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा है।
लखनऊ । केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में भारतीय जनता पार्ची ने जिस तरह से उत्तर प्रदेश के पिछड़े और दलित नेताओं को तवज्जो दी, उसका स्पष्ट संदेश था। माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा गैर-यादव पिछड़े और गैर-जाटव दलितों पर पकड़ बनाए रखना चाहती है। वहीं, इस विस्तार पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती ने तंज कसा। अब किसी का नाम लिए बिना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉ. आंबेडकर और डॉ. लोहिया का जिक्र कर दोनों विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा है।
पिछले दिनों मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में विस्तार के साथ कुछ फेरबदल हुए। इसमें उत्तर प्रदेश को विशेष महत्व दिया गया। यहां से कुल सात राज्यमंत्री बनाए गए, जिनमें तीन दलित, तीन पिछड़े और एक सामान्य वर्ग से हैं। इसका स्पष्ट संदेश माना गया कि 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने नए चेहरों को शामिल करते हुए जातीय संतुलन भी साधा है। इसे लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को ट्वीट किया। इसमें नाम न किसी दल का लिया और न ही किसी नेता का, लेकिन संकेत स्पष्ट था।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नया मंत्रिमंडल वास्तव में संपूर्ण भारत का प्रतिनिधित्व करता है। हमारे महापुरुषों ने, खासकर बाबा साहब और लोहिया जी जैसे चिंतकों ने देश में जिस जनप्रतिनिधित्व और जनभागीदारी की कल्पना की थी, मोदी जी के नेतृत्व में वो सरकार से लेकर समाज तक साकार हो रही है। लोहिया जी का मानना था कि पिछड़ों को शक्ति देकर ही परिपक्व लोकतंत्र संभव है। प्रधानमंत्री ने ओबीसी आयोग को सांविधानिक दर्जा दिया और ओबीसी नेतृत्व को मंत्रिमंडल में बड़ी भागीदारी देकर देश की जिम्मेदारी भी दी है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि लोहिया जी आज होते तो अपने विचार बीज को फलित होते देख हर्ष से भरे होते। आज जब देश इतने बड़े सार्थक और सकारात्मक सामाजिक बदलाव का साक्षी बन रहा है, दुर्भाग्य से कुछ लोग इसमें भी राजनीतिक विरोध कर रहे हैं। ऐसे लोगों को लोहिया जी ने कहा था- सामाजिक परिवर्तन के बड़े काम जब प्रारंभ होते हैं तो कुछ लोग आवेश में इसका विरोध करते हैं। ये वही लोग हैं, जिन्होंने ओबीसी आयोग के गठन का विरोध किया था और बाबा साहब आंबेडकर को भी अपमानित किया था। इन लोगों ने कभी भी आचार-व्यवहार में डा. लोहिया के एक भी सिद्धांत का पालन नहीं किया। आशा है कि आज बाबा साहब और लोहिया जी को मानने वाले आवेश या राजनीतिक स्वार्थ की जगह इस बात को स्वीकार करेंगे कि मोदी जी का ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ का मंत्र संविधान की आत्मा को सच्चे अर्थों में चरितार्थ कर रहा है।