केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से की मुलाकात

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को त्रिशूर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। यह मुलाकात आरएसएस के एक नेता के आवास पर 30 मिनट तक चली। राज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि राज्यपाल का आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का एक शिष्टाचार मुलाकात थी।

 

तिरुवनंतपुरम, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को त्रिशूर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। यह मुलाकात आरएसएस के एक नेता के आवास पर 30 मिनट तक चली। मालूम हो कि राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक को लेकर हाल ही में हुई खींचतान के बीच यह बैठक हुई। विश्वविद्यालय नियुक्तियों पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, ‘अगर मैं देखता हूं कि सरकारी खजाने को लूटा जा रहा है तो आप मुझसे चुप रहने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।’

योग्यता के आधार पर ही की जाएंगी नियुक्तियांराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि राज्यपाल का आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का एक शिष्टाचार मुलाकात थी। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इस बैठक के बाद मीडिया से बात करने से भी इनकार कर दिया। इससे पहले खान ने शनिवार को कहा था कि विश्वविद्यालयों में सभी नियुक्तियां योग्यता के आधार पर ही की जाएंगी और वह राज्य सरकार को कुलपति नियुक्त करने का अधिकार नहीं देंगे। विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक पर उन्होंने कहा, ‘सब कुछ योग्यता के ही आधार पर होगा। सरकार को कुलपति नियुक्त करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता। मैं स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि यह कार्यकारी हस्तक्षेप होगा।’

राज्यपाल के पास लंबित है विधेयकराज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मुझे एक पत्र लिखकर भरोसा दिया था कि इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। हालांकि अब वे कुलपति की नियुक्ति की प्रस्ताव कर रहे हैं। इसका मतलब यह है कि राज्य की शैक्षणिक संस्थानों की स्वायत्तता को खत्म होगा। उन्होंने कहा कि जब तक मैं यहां पर हूं तब तक विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को खत्म नहीं होने दूंगा। उन्होंने आगे कहा कि अयोग्य लोगों को सिर्फ इसलिए नियुक्त नहीं किया जा सकता है क्योंकि वे सीएम से जुड़े हैं। मालूम हो कि विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक जिसका उद्देश्य कुलपतियों के चयन में राज्यपाल की शक्ति को कम करना है। इस महीने केरल सरकार द्वारा पारित किया गया था तभी से लेकर यह विधेयक राज्यपाल के पास लंबित है।

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