कोरोना से उबरे मरीजों और सांस के रोगियों के लिए बेहद जहरीली है यह हवा, विशेषज्ञों ने बचाव के लिए बताए ये उपाय

दिल्‍ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अभी भी बेहद खराब श्रेणी में मौजूद है। यह सांस और कोविड से उबरे रोगियों के लिए बेहद घातक है। आइए जानें इस गंभीर समस्‍या पर क्‍या कहते हैं स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ …

 

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्ली में रविवार को हवा की गुणवत्ता में मामूली सुधार जरूर हुआ लेकिन अभी भी चुनौतियां बरकरार हैं। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्‍ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 338 दर्ज किया गया जो गंभीर श्रेणी से सुधरकर बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गया है। एनसीआर के इलाकों गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और नोएडा में एक्‍यूआई क्रमश: 301, 312, 368 और 357 दर्ज किया गया। आइए जानें इस गंभीर समस्‍या पर क्‍या कहते हैं स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ…

प्रदूषण से हर वर्ग होगा प्रभावित

SGRH दिल्ली के इंटरवेंशनल पल्मोनोलाजिस्ट एवं सीनियर कंसल्टेंट डा. उज्जवल पारख कहते हैं कि प्रदूषण के कारण हर वर्ग के लोग प्रभावित होंगे। मास्क का लगातार प्रयोग करने से प्रभाव कम होगा। जिन लोगों को कोविड हो चुका है उन्हें ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है। भीड़ और कंस्ट्रक्शन की जगहों पर जाने से बचें। यही नहीं जिन्हें सांस की कोई समस्या है उन लोगों को बेहद सजग रहने की जरूरत है।

कोरोना मरीजों के लिए गंभीर चुनौतियां

मेदांता अस्पताल में चेस्ट सर्जरी संस्थान के चेयरमैन डा अरविंद कुमार कहते हैं कि हमने कल शाम को हाल के दिनों में शायद सबसे खराब हवा की गुणवत्ता का अनुभव किया। यह इतना खराब था कि मेरा भी दम घुटने लगा था जबकि मुझे सांस की कोई समस्या नहीं है। ऐसे में आप उन लोगों की तकलीफों के बारे में केवल कल्‍पना ही कर सकते हैं जिनको सांस की कोई बीमारी है। वायु प्रदूषण उन लोगों के लिए गंभीर जटिलता पैदा कर सकता है जो COVID-19 से उबर चुके हैं।

गंभीर जटिलताओं की चपेट में आ जाएंगे मरीज

अरविंद कुमार ने कहा कि दिल्‍ली एनसीआर में बड़ी संख्या में COVID से ठीक हुए मरीज रह रहे हैं। इस तरह की जहरीली हवा के लगातार संपर्क में रहने से उनके फेफड़े गंभीर जटिलताओं की चपेट में आ जाएंगे। ऐसे में हवा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए हर संभव उपाय करना समय की मांग है।

मास्‍क पहनना बेहद जरूरी

वहीं एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि प्रदूषण का श्वसन स्वास्थ्य पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। खास तौर पर फेफड़ों के रोगियों, अस्थमा के मरीजों की बीमारी बिगड़ जाती है। प्रदूषण से कोविड के और भी गंभीर मामले सामने आ सकते हैं। ऐसे में मास्क पहनना चाहिए क्योंकि यह कोरोना संक्रमण और प्रदूषण दोनों से सुरक्षा में मदद करेगा।

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