अगर किसी व्यक्ति के मन में इस बात को लेकर संदेह है कि क्या वह अपने माता-पिता या जीवनसाथी को किराए का भुगतान करके HRA का लाभ ले सकता है या नहीं तो आज हम इस लेख यह संदेह दूर करने वाले हैं। चलिए इसके बारे में जानते हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अधिकांश लोगों को इस बात की जानकारी है कि अगर वह किराए के मकान में रहते हैं तो अपने नियोक्ता से मिलने वाले मकान किराया भत्ता (एचआरए) के आधार पर टैक्स में छूट के लिए दावा कर सकते हैं। इसके लिए वास्तविक प्राप्त एचआरए, दिया गया किराया घटाकर मूल वेतन का 10% और वेतन का 40% (50%, यदि घर मुंबर्इ, कोलकाता, दिल्ली या चेन्नर्इ में स्थित हो तो) का दावा किया जा सकता है। इनमें से जो भी कम होगा, उसके आधार पर टैक्स में लाभ मिलता है। लेकिन, अब सवाल है कि क्या कोई व्यक्ति अपने माता-पिता या जीवनसाथी को किराए का भुगतान करके HRA का लाभ ले सकता हैा?
टैक्स एक्सपर्ट बलबंत जैन ने बताया कि टैक्स के प्रावधानों में माता-पिता, भाई-बहन या पति-पत्नी किसी को भी किराया दिए जाने पर एचआरए क्लेम करने से रोकने का जिक्र नहीं है। कोई भी व्यक्ति अपने माता-पिता या अपने जीवनसाथी को किराए का भुगतान करके टैक्स में छूट के लिए दावा कर सकता है लेकिन इसकी कुछ बेसिक रिक्वायरमेंट्स हैं। सबसे पहले तो यह कि जिस घर का किराया व्यक्ति दे रहा है, वह उस घर में रहता हो। इसके अलावा, वह घर किराया देने वाले व्यक्ति के नाम पर न हो।
उन्होंने बताया कि अगर कोई व्यक्ति साल के अंत में एक बार पूरे साल का किराया देता है तो यह सही नहीं माना जाता है। कोशिश रहनी चाहिए कि हर महीने किराया उस व्यक्ति के बैंक खाते में भेजा जाए, जिसके नाम पर घर है। फिर, वह (जिसके नाम पर घर है) चाहे आपके माता-पिता हों, पति हो, पत्नी हो या भाई-बहन हो।
बता दें कि आयकर अधिनियम की धारा 10 (13ए) के तहत HRA पर इनकम टैक्स में छूट मिलती है। HRA पर टैक्स छूट का फायदा सिर्फ उसी व्यक्ति को मिलता है, जो सैलरीड है और किसी किराए के घर में रह रहा है। जिन लोगों का अपना व्यापार है, वह HRA के आधार पर टैक्स छूट का लाभ नहीं ले सकते हैं।