लखनऊ विकास प्राधिकरण ने सुलभ आवास की लाटरी वर्ष 2016 में निकाली थी। उस समय दलालों की सांठगांठ से प्राधिकरण के कर्मचारियों ने लाटरी निकालने के बाद चयनित लोगों की जगह एक फर्जी सूची तैयार कर दी। प्राधिरकण के अधिकारी से हस्ताक्षर करवाकर उसे वेबसाइट पर अपलोड कर दिया।
लखनऊ । दलालों के साथ मिलकर संपत्तियों का फर्जीवाड़ा करने वाले लखनऊ विकास प्राधिकरण के कर्मचारियेां ने एक घोटाले की जांच के साक्ष्य ही गायब कर दिए। प्राधिकरण की एक समिति गोमतीनगर के सुलभ आवास की लाटरी में हुए घोटाले की जांच कर रही थी। इससे पहले कि जांच के आरोपियों के नाम सामने आते, प्राधिकरण के कर्मचारियों ने विभाग की वेबसाइट और कम्प्यूटर सेक्शन में लकी ड्रा की लिस्ट ही गायब कर दी है। जबकि लाटरी से जुड़ी फाइलें पहले ही प्राधिकरण के कर्मचारी गायब कर चुके हैं।
लखनऊ विकास प्राधिकरण ने सुलभ आवास की लाटरी वर्ष 2016 में निकाली थी। उस समय दलालों की सांठगांठ से प्राधिकरण के कर्मचारियों ने लाटरी निकालने के बाद चयनित लोगों की जगह एक फर्जी सूची तैयार कर दी। प्राधिरकण के अधिकारी से हस्ताक्षर करवाकर उसे वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। खेल तब पकड़ा गया जब एक ही फ्लैट की रजिस्ट्री के लिए दो फाइलें आ गईं। एक महिला की फाइल की जांच की गई तो पहली लिस्ट में उसका नाम ही नहीं था। इस खेल की जांच शुरू हुई तो प्राधिकरण के बाबूओं ने दूसरी आवंटन लिस्ट तैयार कर दी। जिसमें उस महिला का नाम शामिल था। अब इस खेल को पकड़ने के लिए सुलभ आवास की लाटरी की फाइलें मांगी गई।
फाइलों में ही लाटरी से जुड़े पत्र और अनुमोदन से जुड़े कागजात थे। सुलभ आवास आवंटन से जुड़ी फाइलें प्राधिकरण के बाबूओं ने गायब कर दी। अब समिति को अफसर के हस्ताक्षर वाली कम्प्यूटर सेक्शन में मौजूद दोनों लिस्ट से आवंटियों का मिलान करना था। जब कम्प्यूटर सेक्शन में दोनों लिस्ट मांगी गई तो पता चला उसका रिकार्ड भी गायब कर दिया गया। इसकी सूचना तक प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, सचिव और जांच कर रही समिति को नहीं दी गई। इस खेल की शिकायत शासन से की गई थी। शासन के आदेश पर ही प्राधिकरण में इस घोटाले की जांच चल रही थी। अब अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा की ओर से लिस्ट गायब होने पर कम्प्यूटर सेक्शन को पत्र लिखा गया है।