बार बार गीदड़भभकी देने वाले चीन को ताइवान ने करारा जवाब दिया है। ताइवान का कहना है कि चीन की ओर से दी जाने वाली सैन्य धमकियों से स्वतंत्रता की रक्षा के प्रति उनके इरादे मजबूत होंगे। अमेरिकी सांसद ने भी चीन को करारा जवाब दिया है।
ताइपे, रायटर। छह अमेरिकी सांसदों के दौरे से बौखलाए चीन की धमकी के बाद ताइवान ने पलटवार किया है। ताइवान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चीन की सैन्य धमकी से उन्हें अंतरराष्ट्रीय पटल पर मजबूती ही मिलेगी। चीन की इन धमकियों से संयुक्त राज्य अमेरिका समेत दूसरे लोकतांत्रिक देशों का ताइवान के प्रति समर्थन बढ़ेगा। चीन का कहना है कि अमेरिकी सांसदों की यह उकसाने वाली ताइवान यात्रा तनाव बढ़ाने का काम करेगी। अमेरिका को ताइवान से दूरी बनानी चाहिए।
ताइवान के विदेश मंत्रालय ने बीजिंग को सीधी चुनौती देते हुए कहा है कि स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की रक्षा के लिए और निरंतर हो रहे चीनी विस्तार को रोकने के लिए वह संयुक्त राज्य अमेरिका समेत अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग को गहरा करना जारी रखेगा। ताइवान का यह भी कहना है कि चीन की ओर से दी जाने वाली सैन्य धमकियां स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए ताइवानी नागरिकों की मजबूत इच्छाशक्ति को मजबूत करेंगी। इससे ताइवान के प्रति अमेरिका समेत दुनिया का समर्थन बढ़ेगा।
इस बीच अमेरिकी सीनेटर बेन सासे ने ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन से मुलाकात की। उन्होंने बीजिंग को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि चीन संयुक्त राज्य अमेरिका या उसके प्रतिनिधियों को धमकी नहीं दे सकता है। अमेरिकी लोगों को अत्याचारियों से कोई हमदर्दी नहीं है। अमेरिका ताइवान के स्वतंत्रता और लोकतंत्र प्रेमी लोगों का समर्थन करता है। ताइवान ने बाइडन प्रशासन की ओर से दिए गए अमेरिकी समर्थन पर खुशी जाहिर की है। अमेरिका ने बार-बार लोकतांत्रिक रूप से शासित ताइवान के लिए अपनी चट्टानी प्रतिबद्धता जाहिर की है।
ताइवान की सरकार ने कहा है कि उनके मुल्क के भविष्य का निर्धारण नागरिक करेंगे। शनिवार को ताइवान के स्वतंत्रता समूहों की ओर से आयोजित एक मंच में पहले से रिकॉर्ड किए गए वीडियो संदेश में राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने कहा कि यूक्रेन पर रूस जैसे हमलों से लोकतंत्र को खतरे का सामना करना पड़ता है। ताइवान की स्थिति संप्रभुता और लोकतंत्र को बनाए रखने के साथ ही समान विचारधारा वाले देशों के साथ खड़े होने की है। सनद रहे कि यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद चीन की ओर से ताइवान पर हमले की आशंकाएं भी जताई जाने लगी हैं।