छापे के बाद सामने आए तीन जैन, क्या है पीयूष जैन और समाजवादी इत्र बनाने वाले पम्पी जैन का संबंध

कन्नौज के इत्र कारोबारी पीयूष जैन के कानपुर स्थित आवास एवं कार्यालय में छापेमारी के बाद प्रवीण जैन और पम्पी जैन का भी सामने आया है। पम्पी जैन ने समाजवादी इत्र बनाकर लांच किया था और सपा से एमएलसी रह चुके हैं।

 

कानपुर,  सीबीआइसी  की टीम ने कन्नौज के इत्र कारोबारी पीयूष जैन के कानपुर आनंदपुरी आवास में छापा मारा तो राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेजी से बढ़ गईं और पीयूष जैन के साथ दो और नाम सामने आ गए। पीयूष जैन का नाम सपा नेता पम्पी जैन से जोड़ा गया तो प्रवीण जैन से रिश्ता बताया गया। नकदी मिलने का सिलिसला शुरू हुआ तो राजनीतिक पार्टियों में आरोपों के दौर भी शुरू हो गए। इसपर मीडिया के सामने आए पम्पी जैन और प्रवीण जैन ने पीयूष जैन से रिश्तों के बारे साफ किया। पीयूष और पम्पी में एक समानता है कि दोनों ही इत्र कारोबारी हैं।

सपा नेता पूर्व एमएलसी एवं इत्र कारोबारी पुष्पराज जैन उर्फ पम्पी जैन ने समाजवादी इत्र लांच किया था, जिसपर सपा के पार्टी झंडे का रंग और फोटो भी था। इस बारे में पम्पी जैन ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि हमारा पीयूष जैन से कोई रिश्ता नहीं है। वो जैन हैं और हम जैन हैं। अगर हमारा उनसे कोई संबंध होता तो मेरे यहां क्या छापेमारी नहीं होती, जबकि उनके यहां पिछले तीन दिन से कार्रवाई हो रही है। हम तो कारोबार कर रहे हैं। यह सिर्फ एक राजनीतिक बवंडरबाजी है, हमारी पार्टी को बदनाम किया जा रहा है। पीयूष के कोई कोल्ड स्टोरेज या पेट्रोल पंप नहीं है। यह सब हमारे ही हैं। मुंबई में हमारा आफिस है। समाजवादी इत्र हमने लांच किया, हमने बनाया।

पीयूष मेरे बहनोई के भाई, पंपी से कोई संबंध

वहीं गुजरात में जिस ट्रांसपोर्ट कंपनी गणपति रोड कैरियर की 200 फर्जी इनवाइस अधिकारियों के हाथ लगी है, उसके संचालक प्रवीण जैन का कहना है कि प्रवीण जैन के भाई अंबरीश उनके बहनोई हैं, लेकिन कन्नौज के सपा एमएलसी पंपी जैन से उनके कोई संबंध नहीं हैं। प्रवीण के मुताबिक, उन लोगों के कन्नौज के पंपी जैन से कोई रिश्तेदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि यूं तो कोई भी किसी को किसी से जोड़ सकता है।

उन्होंने बताया कि बुधवार को उनके घर पर छापे की कार्रवाई शुरू हुई थी, जो गुरुवार को खत्म हुई। स्वीकारा कि उनके घर से 45 लाख रुपये व आफिस से 56 लाख रुपये की नकदी मिली थी। घर में रखे रुपये उनके, उनकी पत्नी, स्वजन व ट्रकों के टायर खरीदने के लिए थे। जीएसटी विभाग ेके प्रेस नोट में गणपति ट्रांसपोर्ट में 200 फर्जी इनवाइस मिलने तथा ज्यादातर 50 हजार से नीचे के माल के पैकेट अलग-अलग इनवाइस पर ले जाने की जानकारी दी गई है।

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