बागपत । जैन मंदिरों में चल रहे दशलक्षण पर्व का शुक्रवार को आठवां दिन था। जैन कालेज में जैन श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक कर आशीर्वाद लिया।
बागपत, जैन मंदिरों में चल रहे दशलक्षण पर्व का शुक्रवार को आठवां दिन था। जैन कालेज रोड स्थित भगवान महावीर दिगंबर जैन मंदिर में श्रद्धालुओं ने भगवान महावीर का जलाभिषेक किया। इसके बाद शांतिधारा करने का सौभाग्य ओमप्रकाश जैन को प्राप्त हुआ। मौजूद श्रद्धालुओं ने सामूहिक पूजन व भक्तामर विधान में भगवान को अर्घ्य समर्पित कर मंगल की कामना की। ब्रह्मचारी रवि कुमार जैन ने धर्मचर्चा में कहा कि भक्तामर विधान में पूजन करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। नियमित विधान करने से भगवान की विशेष कृपा भी बनती है। कहा कि मनुष्य को हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए। बुराइयों को त्याग कर धर्म के रास्ते पर चलना चाहिए। प्रवीण जैन, साहिल जैन, अमित जैन, स्वाति जैन, इंद्रा जैन, मधु जैन आदि ने उत्तम त्याग धर्म अपनाने का संकल्प लिया। शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर व त्रिलोकतीर्थ धाम में भी श्रद्धालुओं ने कोरोना नियमों का पालन कर भगवान का विधि विधान से पूजन किया। सभी ने जीवन में उत्तम त्याग धर्म अपनाने का संकल्प लिया।
उत्तम त्याग धर्म का किया पूजन भजनों पर खूब झूमे श्रद्धालु
संवाद सहयोगी, बड़ौत : जैन मंदिरों में दशलक्षण पर्व के आठवें दिन श्रद्धालुओं ने उत्तम त्याग धर्म की पूजा की। वे शांति विधानों की विभिन्न पूजाओं में भक्तिभाव से शामिल हुए।
श्री 1008 अजितनाथ दिगंबर जैन प्राचीन मंदिर में श्री भक्तामर विधान का आयोजन किया गया। सुबह पीत वस्त्रधारी जैन श्रद्धालुओं ने जिनेंद्र भगवान की प्रतिमा का गर्म प्रासुक जल से अभिषेक किया। शांतिधारा का सौभाग्य सौधर्म इंद्र सचिन जैन खाद वालों को प्राप्त हुआ। नित्य पूजन में नवदेवता पूजन, आदिनाथ भगवान पूजन, दशलक्षण पूजन, सोलहकारण पूजन, रत्नत्रय पूजन और नंदीश्वर दीप का पूजन किया गया। संगीतकार अनुपमा जैन ग्वालियर के सुंदर भजनों ने भक्तगणों ने भावविभोर होकर नृत्य किया। विधान के मध्य में पंडित चंद्रप्रकाश ने उत्तम त्याग धर्म पर प्रवचन किए। कहा कि उत्तम त्याग करने वाले व्यक्ति का मुक्ति वधु स्वयं वरण करती है तथा देवता भी उसे नमस्कार करते हैं। अवगुणों को छोड़ने का मन बना लें, उन्हें ग्रहण न करें। इसी का नाम त्याग है। परिग्रह को नियंत्रित करने का नाम दान है। विधान में मुकेश जैन, प्रदीप जैन, वरदान जैन, अमित जैन, अरुण जैन, संजय जैन, अशोक जैन, अनिल जैन, इंद्राणी जैन, त्रिशला जैन, रश्मि जैन, डिपल जैन, सरला जैन आदि मौजूद रहे। शाम को मंदिर में आरती हुई और बच्चों की म्यूजिकल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
उधर, श्री 1008 पार्श्वनाथ मंदिर नेहरु रोड में तेरह द्वीप महामंडल विधान के अंतर्गत पंडित नेमचंद जैन के दिशा निर्देशन में सर्वप्रथम श्री जी का प्रक्षालन, अभिषेक किया गया। शांतिधारा सौधर्म इंद्र सतेंद्र जैन, कुबेर इंद्र अमित जैन, यज्ञ नायक ऋषभ जैन, महेंद्र इंद्र अतिशय जैन व नरेश जैन ,विनय जैन द्वारा शांतिधारा की गई। इसके बाद तेरहद्वीप महामंडल विधान की छह पूजा की गई तथा 51 अर्घ्य समर्पित किए गए। पंडित नेमचंद ने कहा कि सांसरिक जीवन मे लाभकारी वस्तुओं का दान व हानिकारक वस्तुओं का त्याग किया जाता है। त्याग शब्द बोलने में बहुत सरल है मगर जीवन में उतारने में बहुत कठिन। कभी कभी ऐसी स्थिति बन जाती है कि इंसान को अपनी सबसे अनमोल वस्तु का भी त्याग करना पड़ जाता है। बिना किसी संकोच ओर लोभ के निस्वार्थ के जो त्याग किया जाता हैं वही सही मायने त्याग होता है। इस मौके पर सतेंद्र जैन, नरेश, अनिल, प्रदीप, आदीश निरंजन, राजकुमार, मुकेश, सतीश, गीता, अनीता, मनीषा, उषा, संगीता, पूनम, मधु आदि मौजूद रहे।