ऑस्ट्रेलिया की विश्व नंबर-1 एश्ले बार्टी ने शनिवार को यहां चेक गणराज्य की आठवीं वरीयता प्राप्त कैरोलिना प्लिस्कोवा को तीन सेटों में 6-3 6-7 (4) और 6-3 से हराकर विंबलडन चैंपियनशिप में महिला एकल का खिताब जीत लिया।
लंदन । किस्मत से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता। एक प्रोफेशन छोड़कर दूसरे प्रोफेशन को अपनाना ये आज के लोगों की आदत बन गई है, लेकिन किस्मत में जो लिखा होता है वो होकर रहता है। ऐसा ही कुछ ऑस्ट्रेलिया की महिला टेनिस खिलाड़ी एश्ले बार्टी के साथ हुआ है, जो बचपन से टेनिस खेलती आ रही थीं, लेकिन टेनिस के खेल से ब्रेक लेकर उन्होंने क्रिकेटर बनने की सोची, लेकिन सफलता नहीं मिली तो फिर से रैकेट थाम लिया और फिर टेनिस के ही खेल में इतिहास रचा दिया।
दरअसल, ऑस्ट्रेलिया की विश्व नंबर 1 एश्ले बार्टी ने शनिवार को यहां चेक गणराज्य की आठवीं वरीयता प्राप्त कैरोलिना प्लिस्कोवा को तीन सेटों में 6-3, 6-7 (4), 6-3 से हराकर विंबलडन का खिताब अपने नाम किया। पांच साल में महिला सिंगल्स में विंबलडन फाइनल में पहुंचने वाली बार्टी अब वीनस रोजवाटर डिश को उठाने वाली इवोन गूलागोंग कावले (1980) के बाद पहली ऑस्ट्रेलियाई महिला खिलाड़ी हैं। वहीं, साल 2019 के फ्रेंच ओपन के बाद यह उनका दूसरा ग्रैंड स्लैम खिताब है।
तीन सेटों तक चले पहले विंबलडन महिला फाइनल में बार्टी को जीत हासिल करने के लिए एक घंटे 55 मिनट तक संघर्ष करना पड़ा। वहीं, कैरोलिना के लिए ग्रैंड स्लैम फाइनल में यह दूसरी हार है। उनकी पिछली हार 2016 यूएस ओपन के फाइनल के दौरान हुई थी, जब वह तीन सेटों में जर्मनी की एंजेलिक कर्बर से हार गई थीं। इस तरह एक बार फिर से कैरोलिना का खिताब जीतने का सपना टूटा है।
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पांच साल की उम्र में टेनिस खेलना शुरू करने वाली एश्ले बार्टी एक क्रिकेटर भी रह चुकी हैं। उन्होंने 2015-16 में महिला बिग बैश लीग में ब्रिस्बेन हीट टीम का प्रतिनिधित्व किया था। उस समय वह टेनिस से ब्रेक पर थीं। हालांकि, उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। बार्टी ने नौ मैचों में सिर्फ 68 रन बनाए थे और इससे वह संतुष्ट नजर नहीं आईं, तो फिर से साल 2016 में उन्होंने टेनिस के खेलने में लौटने का फैसला किया और इसके बाद से वे अब तक दो ग्रैंड स्लैम जीत चुकी हैं।