डिजिटल पर सरकार के फोकस से खुलेगा नए भारत का रास्ता, तैयार होगा अगले 25 साल का ब्लू प्रिंट

budget 2022 चीन क्रिप्टोकरेंसी पर नकेल कसते हुए CBDC लाने वाला एकमात्र देश है। हालांकि भारत ने अब तक एक तरह का संतुलन कायम रखा है। एक तरफ भारत ने जहां सीबीडीसी लॉन्च करने का ऐलान किया है

 

नई दिल्ली। बजट 2022 सरकार के बाइफोकल विजन को दिखाता है। इसमें अगले कुछ समय में ग्रोथ को बढ़ावा देने वाले कुछ प्रयासों को शामिल किया गया है। इसके साथ ही इसमें अगले 25 साल में भविष्य के लिए तैयार भारत का ब्लूप्रिंट भी शामिल है। बजट में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत की आजादी के अमृत काल में सरकार का मुख्य फोकस डिजिटल पर होगा। इसी वजह से इस बजट में वैश्विक स्तर पर टेक्नोलॉजी से जुड़ी क्रांति के केंद्र में भारत को रखने के लिए कई तरह के निर्णायक डिजिटल पहलों की घोषणा की गई है।

पिछले एक दशक में भारत ने इंडिया स्टैक (India Stack) जैसे प्रयासों की मदद से अपना फिनटेक इकोसिस्टम तैयार करने के लिए काफी महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। इस इकोसिस्टम के विस्तार के लिए जरूरी डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने को लेकर इंडिया स्टैक महत्वपूर्ण रहा है। इसके तहत तीन पहलुओं पर खासा जोर दिया गया है – पहचान (आधार, ईकेवाईसी), पेमेंट्स (यूपीआई) और डेटा इम्पावरमेंट (डिजिलॉकर, अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क)।

इंडिया स्टैक के तहत टेक्नोलॉजी की ताकत का इस्तेमाल इस प्रकार किया गया है कि हम अपने फिंगरटिप्स से कई तरह के ट्रांजैक्शन फटाफट कर सकता हैं। इंडिया स्टैक की वजह से ही 2.8 अरब मासिक रियल टाइम पेमेंट और 5.47 ट्रिलियन रियल टाइम पेमेंट संभव हो सका है। दरअसल, हालिया इकोनॉमिक सर्वे में इस बात का उल्लेख किया गया है कि यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (UPI) देश में सबसे बड़ी रिटेल पेमेंट सिस्टम बन गई है। फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में अब तक इसके जरिए 30 अरब से ज्यादा ट्रांजैक्शन हो चुके हैं।

 

UPI की व्यापक पहुंच के बाद इंडिया स्टैक ने इससे आगे बढ़ते हुए सुरक्षित और किफायती फाइनेंशियल डेटा शेयरिंग के लिए अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क विकसित किया। इस कदम से ट्रांजैक्शन की लागत को काफी कम करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही जोखिम प्रबंधन की प्रैक्टिस भी बेहतर होगी और ग्राहकों को लागत में आई कमी का फायदा मिल पाएगा। इससे ओपन क्रेडिट इनेबलमेंट नेटवर्क का रास्ता सफ हो जाएगा और डिजिटल लेंडिंग का पूरा परिदृश्य बदल जाएगा।

नवाचार (इनोवेशन) की इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हालिया बजट में फिनटेक इकोसिस्टम के आगे का पूरा रोडमैप है। इसमें सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) का लॉन्च भी शामिल है। यह एक बोल्ड स्टेप है और इससे भारत के लिए अद्वितीय डिजिटल लीडरशिप पोजिशन क्रिएट हो पाएगा। डिजिटल करेंसी (Digital Currency) CBDC लाना का सरकार का सबको चौंका देने वाला लेकिन स्वागत योग्य फैसला है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और क्रिप्टोकरेंसी के उदय के साथ ही दुनियाभर की इकोनॉमी पिछले कुछ वर्षों से CBDC को एक्सप्लोर कर रही हैं।

चीन क्रिप्टोकरेंसी पर नकेल कसते हुए CBDC लाने वाला एकमात्र देश है। हालांकि, भारत ने अब तक एक तरह का संतुलन कायम रखा है। एक तरफ भारत ने जहां सीबीडीसी लॉन्च करने का ऐलान किया है और दूसरी तरह डिजिटल एसेट्स से जुड़े सभी ट्रांजैक्शन पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगाकर इसने एसेट के रूप में क्रिप्टोकरेंसी को स्वीकार करने की ओर इशारा किया है। इस कदम से निश्चित रूप से एक स्पष्टता आएगी और क्रिप्टो को लेकर सरकार के नजरिए का पता चलेगा एवं बढ़ती कंपनियों और निवेशकों को एक तरह का सपोर्ट मिलेगा। हालांकि, क्रिप्टो बिल से तेजी से आगे बढ़ते इस सेक्टर को लेकर ज्यादा स्पष्टता आएगी तो दूसरी ओर यह कहा जा सकता है कि यह शुरुआत के लिहाज से सही है।

CBDC की शुरुआत का फैसला सरकार के अगले 25 साल के विकास के विजन के अनुरूप है। जिस प्रकार डिजिटल ग्रोथ के लिए अनिवार्य शर्त बनते जा रहा है, उसी प्रकार डिजिटल करेंसी आने वाले दशकों में ग्लोबल इकोनॉमी को आगे बढ़ाने वाली साबित हो सकती है। इससे निश्चित तौर पर पूरा सिस्टम बदल जाएगा जो बहुत हद तक डिजिटल ट्रांजैक्शन पर निर्भर हो गया है क्योंकि इससे ट्रांजैक्शन और आसान हो जाएंगे, लागत कम होगी और तत्काल सेटलमेंट के साथ पेमेंट का पूरा तरीका बदल जाएगा। इससे सरकारी निगरानी को बढ़ाने, फंड के गलत इस्तेमाल को रोकने और पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी क्योंकि अगर आप देखें तो नेचर के मुताबिक डिजिटल करेंसी का पूरे ट्रेल को ट्रेस किया जा सकता है।

सरकार के ऐलान के बाद जहां तात्कालिक प्रतिक्रिया के रूप में हर तरह सेलिब्रेशन देखने को मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर इस बात को लेकर तस्वीर साफ नहीं है कि सीबीडीसी वास्तव में कैसी होगी और किस प्रकार काम करेगी। उदाहरण के लिए सरकार की निगरानी बढ़ने पर किसी भी व्यक्ति की प्राइवेसी को लेकर चिंताएं पैदा होंगी। इसके साथ इकोनॉमी में क्रेडिट क्रिएशन काफी चैलेंजिंग काम हो जाएगा क्योंकि कम-से-कम शुरुआत में करेंसी आरबीआई के पास में होगी। इंडस्ट्री की नजर इस बात पर होगी कि इस करेंसी के फ्रेमवर्क को किस प्रकार लागू किया जाएगा और समय के साथ इसे रिटेल में किस तरह समाहित किया जाएगा।

वित्तीय समावेशन 

वित्तीय समावेशन सरकार के लिए स्पष्ट प्राथमिकता बन गई है। डिजिटल ट्रांजैक्शन को लेकर लोगों की सुविधा को देखते हुए सरकार ने 75 जिलों में अनुसूचित कॉमर्शियल बैंकों द्वारा 75 डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स की स्थापना और 2022 में सभी 1.5 लाख पोस्ट ऑफिस को कोर बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने का प्रस्ताव रखा है। डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स से ऐसे इलाकों में बैंकिंग सेवाओं तक लोगों की पहुंच बेहतर होगी जहां अभी बैंक नहीं हैं। दूसरे फैसले से पोस्ट ऑफिस के बीच इंटर-ऑपरेबलिटी बेहतर होगी और डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा मिलेगा।

महामारी की वजह से मौद्रिक लेनदेन के लिए डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल नॉर्मल हो गया है और डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स सुदूर क्षेत्रों और खासकर ऐसे इलाकों के लिए नेचुरल ऑप्शन के रूप में सामने आए हैं जहां अभी बैंकिंग सेवाएं नहीं पहुंची हैं। अगल दीर्घकालिक लक्ष्य पर गौर करें तो इससे इंश्योरेंस जैसे फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स की पहुंच को बढ़ाने में मदद मिलेगी क्योंकि डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स डिस्ट्रीब्यूशन मैकेनिज्म के तौर पर काम कर सकते हैं। हालांकि, अभी इस बात को लेकर स्पष्टा नहीं आई है कि ये डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स किस प्रकार काम करेंगी और लोगों को किस प्रकार अपनी सर्विस उपलब्ध कराएंगी। कुल-मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इस बजट से ना सिर्फ इकोनॉमी को एक तरह का बूस्ट मिलेगा बल्कि नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के जरिए पहले से मौजूद प्रोडक्ट्स और सर्विसेज के साथ-साथ सप्लाई चेन मैकेनिज्म को और इनोवेटिव बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि, अब भी यह चीज बिल्कुल साफ नहीं हो पाई है कि एक्जीक्यूट करने पर ये प्रयास किस तरह से काम करेंगे लेकिन यह स्पष्ट तौर पर सरकार की डिजिटल प्राथमिकता को दिखाता है।

(लेखक- एडलवाइज टोक्यो लाइफ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ हैं, विचार उनके निजी हैं)

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