पाकिस्तान में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से 1975 में लागू किए गए आपातकाल जैसी पाबंदिया लगाने की अफवाहों ने जोर पकड़ लिया है। पाकिस्तान के प्रमुख विपक्षी दल इन अफवाहों के पीछे किसी सुनियोजित मुहिम की आशंका जता रहे हैं।
नई दिल्ली, एजेंसियां। पाकिस्तान में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से 1975 में लागू किए गए आपातकाल जैसी पाबंदिया लगाने की अफवाहों ने जोर पकड़ लिया है। पाकिस्तान के प्रमुख विपक्षी दल इन अफवाहों के पीछे किसी सुनियोजित मुहिम की आशंका जता रहे हैं। पाकिस्तानी अखबार डान ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) को संदेह है कि वास्तविक मुद्दों और अपनी विफलता से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए सत्ताधारी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ऐसी अफवाहों को फैलाने की साजिश रच रही है।
हालांकि पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने विपक्षी दलों की इन आशंकाओं को खारिज कर दिया। फवाद चौधरी ने इन अफवाहों को पाकिस्तान में प्रचलित फर्जी समाचार संस्कृति का एक हिस्सा करार दिया है। गौर करने वाली बात यह है कि इन अफवाहों के बीच संयुक्त विपक्ष के सदस्यों ने बुधवार को नेशनल असेंबली सचिवालय को एक प्रस्ताव दिया। इस प्रस्ताव में सन 1973 के संविधान में प्रदान किए गए संघीय संसदीय प्रणाली को बनाए रखने के साथ साथ इसे मजबूती दिए जाने का संकल्प व्यक्त किया गया था।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के महासचिव अहसान इकबाल ने ट्वीट कर कहा कि जब धांधली के जरिए थोपी गई सरकार ने देश को बर्बाद कर दिया है तब इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) जैसा आपातकाल लगाने और सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल करके व्यवस्था में बदलाव की अफवाहें फैल रही हैं। मालूम हो कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा भारत में आपातकाल लागू कर दिया गया जो 21 मार्च 1977 तक लागू रहा।
पाकिस्तान में अफवाहों और आशंकाओं के फैलने के प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पाक के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए मोईद यूसुफ को काबुल में इस्लामाबाद विरोधी बड़े प्रदर्शनों की जानकारी मिलने के कारणअफगानिस्तान दौरे को रद्द करना पड़ा है। यूसुफ को पाकिस्तानी ओर से सीमा पर बाड़ लगाए जाने के मुद्दे पर चर्चा के लिए मंगलवार (18 जनवरी) को अफगानिस्तान जा रहे एक अंतर-मंत्रालयी पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करना था। तालिबान के साथ इस प्रतिनिधिमंडल की कई मुद्दों पर बात होने वाली थी।