पेट्रोल और डीजल को सरकार क्यों GST के दायरे में नहीं लाती? क्या है मजबूरी? जानें

ईंधन पर टैक्स लगाना केंद्र और राज्य सरकारों के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है। अगर इसे जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो इसका सरकारी राजस्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। चलिए दिल्ली में कीमतों के उदाहरण से इसे समझने की कोशिश करते हैं।

 

नई दिल्ली,  पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में लोगों के मन में एक सवाल यह हो सकता है कि पेट्रोल और डीजल को सरकार जीएसटी के दायरे में क्यों नहीं लाती है। यह भी सवाल हो सकता है कि आखिर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अंडर ना लाने के पीछे सरकार की क्या मजबूरी है। इसका मोटा-मोटा जवाब है कि अगर सरकार इन्हें GST के दायरे में ले आती है, तो सरकारी राजस्व कम हो जाएगा।

दरअसल, ईंधन पर टैक्स लगाना केंद्र और राज्य सरकारों के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत रहा है, यही एक प्रमुख कारण है कि वह इसे जीएसटी के तहत नहीं लाना चाहते हैं। लेकिन, अगर यह GST के दायरे में आ जाएगा तो सरकारों का राजस्व कम हो जाएगा क्योंकि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के सबसे ऊंचे स्लैब में भी रखते हैं, तब भी इनपर लगने वाला टैक्स, मौजूदा टैक्स से कम रहेगा। GST का उच्चतम स्लैब 28 फीसदी है यानी जो भी वस्तुएं GST के दायरे में आती हैं, उनपर लगने वाला सबसे ज्यादा टैक्स 28 फीसदी है।

ऐसे में अगर सरकार पेट्रोल और डीजल को 28 फीसदी जीएसटी वाले दायरे में रखती है, तब भी उसका राजस्व अभी के मुकाबले काफी ज्यादा घट जाएगा। चलिए, इसे दिल्ली को आधार बनाकर उदाहरण से समझते हैं। इंडियन ऑयल की वेबसाइट पर एक अप्रैल 2022 की पेट्रोल और डीजल की कीमतों का ब्रेकअप दिया गया है, जिसके अनुसार यहां पेट्रोल की बेस कीमत- 53.34 रुपये, माल ढुलाई आदि खर्च- 0.20 रुपये, डीलर के लिए पेट्रोल की कुल कीमत 53.54 रुपये, एक्साइज ड्यूटी- 27.90 रुपये, डीलर कमीशन (एवरेज)- 3.83 रुपये और VAT- 16.54 रुपये है। इस तरह से यह ग्राहकों के कुल 101.81 रुपये का हो जाता है।

ऐसे में जो पेट्रोल डीलर को 53.54 रुपये का पड़ रहा है, वह पेट्रोल ग्राहकों के लिए 101.81 रुपये का हो जाता है। इसमें 27.90 रुपये एक्साइज ड्यूटी और 16.54 रुपये का वैट, सरकारों को जाता है। इस तरह से सरकारों को कुल 44.44 रुपये प्रति लीटर की कमाई होती है। वहीं, अगर इसे जीएसटी में लाया जाता है तो डीलर को पड़ने वाली पेट्रोल की कॉस्ट, जो 53.54 रुपये है, उसपर ज्यादा से ज्यादा 28 फीसदी जीएसटी लगेगी, जिससे सरकारों को कुल 14.9912 रुपये प्रति लीटर का ही राजस्व मिलेगा। यह मौजूदा राजस्व (प्रति लीटर) का करीब एक तिहाई है।

 

वहीं, एक अप्रैल 2022 के ब्रेकअप के अनुसार, दिल्ली में डीलरों को डीजल 55.09 रुपये प्रति लीटर का पड़ता है। इसे बचने पर डीलर को एवरेज 2.58 रुपये का कमीशन मिलता है। डीजल पर 21.80 रुपये एक्साइज ड्यूटी और 13.60 रुपये वैट लगता है। ऐसे डीजल से सरकारों को कुल 35.4 रुपये प्रति लीटर की कमाई होती है। पेट्रोल के लिए की गई कैलकुलेशन को यहां भी अप्लाई करें तो इसे जीएसटी के दायरे में लाने पर सरकार का प्रति लीटर राजस्व घटकर करीब 15.4252 रुपये पर आ जाएगा।

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