बंदरगाहों पर चंद घंटों में क्लियर होंगे गैर-जोखिम वाले आइटम, फेसलेस क्लियरेंस की होगी व्यवस्था

सीबीआइसी ने कहा कि नई व्यवस्था लागू होने के बाद आयातित सामानों को क्लियरेंस मिलने की गति बहुत तेज हो जाएगी। इसकी वजह यह है कि बिना जोखिम वाले उत्पादों को क्लियरेंस के लिए किसी भौतिक दखल यानी किसी अधिकारी की मौजूदगी की कोई जरूरत नहीं रह जाएगी।

 

नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) ने फेसलेस असेसमेंट तंत्र को विस्तार दिया है। इसके तहत आयातित गैर-जोखिम वाली 90 फीसद तक खेप को बिना किसी भौतिक दखल के चंद घंटों में क्लियरेंस दे देने की व्यवस्था होगी। यह नई व्यवस्था 15 जुलाई से लागू हो जाएगी।

सीबीआइसी ने कहा कि नई व्यवस्था लागू होने के बाद आयातित सामानों को क्लियरेंस मिलने की गति बहुत तेज हो जाएगी। इसकी वजह यह है कि बिना जोखिम वाले उत्पादों को क्लियरेंस के लिए किसी भौतिक दखल यानी किसी अधिकारी की मौजूदगी की कोई जरूरत नहीं रह जाएगी।

वर्तमान में गैर-जोखिम उत्पादों के मामले में बेरोकटोक कस्टम क्लियरेंस का स्तर एयर कार्गो कंप्लेक्स पर 80 फीसद, बंदरगाहों पर 70 फीसद और इनलैंड कंटेनर डिपो (आइसीडी) यानी बंदरगाहों से इतर सूखे क्षेत्र में स्थित कंटेनर डिपो पर 60 फीसद तक है।

हालांकि, टेक्नोलॉजी के बढ़ते उपयोग के चलते इस वर्ष मई में ऐसी क्लियरेंस का औसत 77 फीसद पर पहुंच चुका है। सीबीआइसी ने कहा कि मशीन लर्निग और अन्य तकनीकों की मदद से अब रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम (आरएमएस) का और अधिक प्रभावी उपयोग हो रहा है।

इससे जोखिम वाली खेप का पता लगाने में सहूलियत हो रही है और उन खेपों की संख्या काफी घटी है, जिनमें गहराई से छानबीन की जरूरत है। सीबीआइसी के अनुसार, वह कस्टम क्लियरेंस की प्रक्रिया बेहद आसान बनाने के लिए तकनीकों का उपयोग लगातार बढ़ा रहा है। इसी के तहत पिछले दिनों यह फैसला किया गया कि किसी भी खेप को क्लियरेंस देने के बारे में पहला निर्णय तीन घंटे के भीतर ले लिया जाएगा।

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