बैंक की दो दिनी देशव्यापी हड़ताल आज से, सरकार के फैसले के विरोध में करीब नौ लाख बैंक कर्मचारी नहीं करेंगे काम

गुरुवार तथा शुक्रवार को देश भर में करीब नौ लाख कर्मचारी दो दिन की हड़ताल पर रहेंगे। लखनऊ में गुरुवार को स्टेट बैंक मुख्य शाखा में 11 बजे बड़ी सभा होगी। इसके बाद 17 दिसंबर को इंडियन बैंक के कर्मी हजरतगंज में प्रदर्शन करेंगे।

 

लखनऊ । बैंक कर्मचारियों के शीर्ष संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने बैंकों के निजीकरण का जोरदार विरोध करने का फैसला किया है। इसी के तहत गुरुवार तथा शुक्रवार को देश भर में करीब नौ लाख कर्मचारी दो दिन की हड़ताल पर रहेंगे। लखनऊ में गुरुवार को स्टेट बैंक मुख्य शाखा में 11 बजे बड़ी सभा होगी। इसके बाद 17 दिसंबर को इंडियन बैंक के कर्मी हजरतगंज में प्रदर्शन करेंगे। उपभोक्ताओं को चार दिन काफी परेशानी भी झेलनी पड़ेगी। दो दिन हड़ताल के साथ शनिवार व रविवार को भी बैंक बंद रहेंगे।

सरकार ने बैंकिंग अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद के मौजूदा सत्र के दौरान पेश करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है। इसको लेकर सदन में आज से बहस भी होनी है। बैंककर्मियों ने कहा कि शीतकालीन सत्र में बैंकिंग अधिनियमों में परिवर्तन कर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने की सरकार की मंशा का हम सख्त विरोध करते हैं। लंबे समय से आंदोलन करने के बाद भी सरकार की ओर से कोई सकारात्मक फैसला न लेने की वजह से दो दिवसीय हड़ताल करने का फैसला लिया गया है।

देश के नौ बैंक संगठनों के शीर्ष निकाय यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने 16 व 17 दिसंबर को दो दिन की हड़ताल का ऐलान किया है। दोनों दिन करीब नौ लाख बैंक कर्मी काम नहीं करेंगे। यह हड़ताल दो सरकारी बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ हो रही है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समेत देश के तमाम बैंक आज और कल बंद रहेंगे। हालांकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया प्रबंधन ने कर्मचारियों से काम का अनुरोध किया है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सहित ज्यादातर बैंकों ने अपने ग्राहकों को सूचित किया है कि हड़ताल की वजह से चेक भुनाने और फंड ट्रांसफर जैसी बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।

लखनऊ में स्टेट बैंक के मुख्यालय में नेशनल कंफेडरेशन आफ बैंक एंपलाइज के प्रदेश महामंत्री अखिलेश मोहन ने बताया कि केन्द्र सरकार बैंकों का निजीकरण कर पूंजीपतियों के हाथों में सौपने की साजिश रच रही है, लेकिन बैंककर्मियों के विरोध के चलते वह सफल नहीं हो पाए हैं। हम सरकार के निजीकरण की मंशा के विरोध में बैंककर्मी दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल पर जाने को मजबूर हैं। आल इंडिया बैंक आफीसर्स कंफेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पवन कुमार ने बताया कि बैंकों के निजीकरण से किसानों, छोटे व्यवसाइयों और कमजोर वर्गों के लिए ऋण उपलब्धता कम होगी। 12 सरकारी बैंकों और उनके 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। देशव्यापी बैंक हड़ताल के पहले दिन 16 दिसंबर को स्टेट बैंक, मुख्य शाखा के सामने और दूसरे दिन हजरतगंज चौराहे के पास इंडियन बैंक (पूर्व इलाहाबाद बैंक) के सामने सुबह 11:30 बजे से प्रदर्शन होगा। हड़ताल में लखनऊ के करीब 10 हजार बैंक कर्मचारी शामिल होंगे। बैंकों की बंदी से 2500 से 3000 करोड़ का कारोबार प्रभावित होगा।

 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने के विनिवेश लक्ष्य के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी। पहले भी सरकार ने 2019 में आईडीबीआई बैंक में अपनी बहुलांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेचकर आईडीबीआई बैंक का निजीकरण कर दिया था। सरकार ने बीते चार वर्ष में 14 सरकारी बैंकों का विलय किया है।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर अपने कर्मचारियों से हड़ताल पर नहीं जाने की अपील की है। बैंक ने कहा है कि कोरोना महामारी को देखते हुए कर्मचारियों की हड़ताल से स्टेकहोल्डर्स को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इससे पहले एसबीआई ने बैंक यूनियनों को बातचीत का न्यौता भी भेजा था, लेकिन बैंककर्मी अड़े रहे। इसके साथ ही सेंट्रल बैंक तथा पंजाब नेशनल बैंक ने भी बैंक यूनियनों से कहा था कि वह लोग बैंक की बेहतरी के काम करें।

उपभोक्ताओं की बढ़ेगी मुश्किल

दो दिवसीय बैंकों की हड़ताल से उपभोक्ताओं की मुश्किल बढ़ जाएगी। गुरुवार और शुक्रवार को बैंकों का कामकाज पूरी तरह प्रभावित रहेगा। इससे लेन-देन में मुश्किल होगी। इसके बाद शनिवार और रविवार पड़ रहा है। शनिवार को आंशिक कार्य ही हो सकेंगे। इस प्रकार करीब चार दिनों तक बैंक संबंधी कार्य प्रभावित रह सकते हैं।  भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सहित ज्यादातर बैंकों ने अपने ग्राहकों को सूचित किया है कि हड़ताल की वजह से चेक भुनाने और फंड ट्रांसफर जैसी बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।

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