याची सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता महक महेश्वरी का कहना है कि एक समझौते के तहत श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन में से 11.37 एकड़ जन्मभूमि मंदिर तथा शेष 2.37 एकड़ भूमि शाही ईदगाह को सौंपना गलत है। याचिका में एएसआइ से साइंटिफिक सर्वे कराने की भी मांग की गई है। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व मुख्य स्थाई अधिवक्ता कुणाल रवि ने राज्य सरकार का पक्ष रखा।
प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट में मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद सहित पूरी भूमि का अधिग्रहण करके ट्रस्ट बनाकर हिंदुओं को पूजा का अधिकार देने की मांग को लेकर जनहित याचिका दाखिल की गई थी। सोमवार को याचिका की सुनवाई करने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर व न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है।
याची सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता महक महेश्वरी का कहना है कि एक समझौते के तहत श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन में से 11.37 एकड़ जन्मभूमि मंदिर तथा शेष 2.37 एकड़ भूमि शाही ईदगाह को सौंपना गलत है। याचिका में एएसआइ से साइंटिफिक सर्वे कराने की भी मांग की गई है। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व मुख्य स्थाई अधिवक्ता कुणाल रवि ने राज्य सरकार का पक्ष रखा। जनहित याचिका में शाही ईदगाह परिसर को हिंदुओं को सौंपने की मांग की गई है।
याची का कहना है कि जहां शाही ईदगाह है वहीं कंस का कारागार था। जिसमें भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। मंदिर को तोड़कर वहां शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया गया है। जिस जगह अभी मस्जिद है वहां द्वापर युग में कंस ने भगवान श्रीकृष्ण के माता-पिता को जेल में कैद कर रखा था।