Tejas vs FA-50 साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक लड़ाकू विमान को लेकर मलेशिया और दक्षिण कोरिया के बीच समझौता निर्णायक दौर में पहुंच चुका है। मलेशिया ने भारत को झटका देते हुए तेजस की जगह दक्षिण कोरियाई लड़ाकू विमान F-50 पर अपना भरोसा दिखाया है।
नई दिल्ली : साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक लड़ाकू विमान को लेकर मलेशिया और दक्षिण कोरिया के बीच समझौता निर्णायक दौर में पहुंच चुका है। मलेशिया ने भारत को झटका देते हुए तेजस की जगह दक्षिण कोरियाई लड़ाकू विमान F-50 पर अपना भरोसा दिखाया है। कहा जा रहा है कि मलेशिया इसे खरीदने की तैयारी भी कर रहा है। यह खबर भारत के लिए एक बड़ा झटका हो सकती है। हालांकि, अभी तक भारतीय तेजस इस समझौते में शीर्ष पर माना जा रहा था। भारत ने मलेशिया को एक पैकेज समझौते की पेशकश की थी। भारत ने कहा था कि वो सुखोई-30 लड़ाकू विमान के लिए मलेशिया में एक एमआरओ (रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल) फैसिलिटी लगाने को तैयार है।
1- उन्होंने कहा कि वह दिन अब लद गए जब भारत अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए अन्य देशों का मुंह ताकता था। रक्षा क्षेत्र में अब न केवल भारत आत्मनिर्भर बन रहा है, बल्कि रक्षा उपकरणों के एक बड़े निर्यातक देश के रूप में भी उभर रहा है। वर्तमान स्थिति को देखें तो आज कई देश भारत में बने रक्षा उपकरण खरीदने के लिए पंक्ति में खड़े दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें महत्वपूर्ण योगदान हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL) का है। डा अभिषेक का कहना है कि इसमें कोई संदेह नहीं कि एचएल उत्कृष्ट लड़ाकू विमानों का निर्माण करती है, परंतु कंपनी द्वारा मार्केटिंग पक्ष में थोड़ी कमी रह जाती है। यही कारण है कि दक्षिण कोरिया इस प्रतियोगिता में भारी पड़ रहा है। यह कहा जा रहा है कि मलेशिया ने दक्षिण कोरिया के F-20 जेट खरीदने में रुचि दिखाई है।
2- उन्होंने का कि एचएएल द्वारा निर्मित तेजस का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है। कई बड़े देश भी तेजस में अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संशय नहीं है कि तेजस विश्व के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों की श्रेणी में आता है। उन्होंने का कि हाल में मलेशिया ने एयरक्राफ्ट खरीदने की प्रक्रिया तेज की थी। वह अपने पुराने रूसी लड़ाकू विमान को बदलने के लिए काम्बेट एयरक्राफ्ट खरीदना चाह रहा था। इसके अलावा रूस के दो विमान, पाकिस्तान, चीन और तुर्की के लड़ाकू विमान भी इस प्रतिस्पर्धा में थे। भारतीय तेजस और दक्षिण कोरिया के F-50 में से किसी एक को चुनने पर विचार किया जा रहा है। मलेशियाई वायुसेना द्वारा 18 तेजस खरीदने के लिए एचएएल को प्रस्ताव दिया गया था। हालांकि, अब अंत में इस दौड़ में दक्षिण कोरिया एरोस्पेस इंडस्ट्रीज (KAI) बाजी मारता दिख रहा है।
छह देशों ने दिखाई दिलचस्पी
5 अगस्त, 2022 को लोकसभा बैठक में सरकार ने सूचित किया कि मलेशिया भारत से 18 तेजस लड़ाकू विमान खरीद रहा है। साथ ही छह अन्य देशों ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है। इसमें अमेरिका, अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, मिस्र, इंडोनेशिया और फिलीपींस ने भी इस हल्के लड़ाकू विमान में रुचि दिखाई है। वर्ष 2016 में बहरीन इंटरनेशनल एयरशो में तेजस का डंका बच चुका है। तेजस और भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक पल था। केवल इसलिए नहीं कि पहली बार भारत में निर्मित यह जेट विदेशी मंच पर जा रहा था बल्कि इसलिए भी कि शो में तेजस की उपस्थिति दर्ज होते ही पाकिस्तान ने चीन के साथ मिलकर बनाया अपना JF-17 थंडर फाइटर को शो से वापस ले लिया था।
तेजस की खूबियां
1- एलसीए तेजस स्वदेशी लड़ाकू विमान रूस के सुखोई लड़ाकू जेट की तुलना में काफी हल्का और प्रभावी है। यह विमान आठ से नौ टन भार ढोने में सक्षम है। यह सुखोई जितने हथियारों और मिसाइलों के साथ उड़ सकता है। तेजस की गति बेजोड़ है। ये विमान 52,000 फीट की ऊंचाई पर ध्वनि की गति से तेज उड़ने की ताकत रखते हैं।
2- तेजस एक साथ 10 लक्ष्यों को ट्रैक कर उन पर निशाना साधने में सक्षम है। यह विमान कम जगह यानी 460 मीटर के रनवे पर टेकआफ करने की क्षमता रखता है। यह दूर से ही दुश्मन के विमानों को निशाना बनाने की ताकत रखता है। तेजस दुश्मन के राडार को चकमा देने की क्षमता भी रखता है। तेजस में हवा से हवा में ईंधन भरा जा सकता है। इसमें हवा से जमीन पर मार करने वाले हथियार और विजुअल रेंज मिसाइलों को भी लोड किया जा सकता है। तेजस पर ब्रह्मोस मिसाइल भी लोड की जा सकती है। एकल इंजन वाला यह विमान पूरी तरह से हथियारबंद हल्का लड़ाकू विमान है।