मूल्यांकन में देरी के कारण एलाइसी के आइपीओ में हो कती है देरी, मौजूदा वित्त वर्ष में सार्वजनिक पेशकश लाने की थी संभावना

चालू वित्तीय वर्ष में सरकार के जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आईपीओ के साथ आने की संभावना नहीं है क्योंकि सरकार के स्वामित्व वाली दिग्गज कंपनी के मूल्यांकन में अनुमानित समय से अधिक समय लग रहा है और तैयारी का काम अभी भी पूरा नहीं हुआ है।

 

नई दिल्ली, पीटीआइ। मार्च 2022 को समाप्त होने वाले चालू वित्तीय वर्ष में सरकार के जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आईपीओ के साथ आने की संभावना नहीं है, क्योंकि सरकार के स्वामित्व वाली दिग्गज कंपनी के मूल्यांकन में अनुमानित समय से अधिक समय लग रहा है, और तैयारी का काम अभी भी पूरा नहीं हुआ है। एक मर्चेंट बैंकर के वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में बयान देते हुए यह कहा कि, एलआईसी के मूल्यांकन के संबंध में अभी भी कुछ मुद्दों को सही करने की जरूरत है। मूल्यांकन के बाद भी कई नियामक प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं। आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के लिए न केवल भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) बल्कि भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (Irdai) की भी समीक्षा की आवश्यकता है, जो लगभग सात महीने से लंबित है।

इस बारे में बयान देते हुए एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि, एलआईसी का मूल्यांकन उसके आकार, उत्पाद मिश्रण, रियल एस्टेट संपत्तियों, सहायक कंपनियों और लाभप्रदता साझाकरण संरचना के कारण एक जटिल प्रक्रिया है, और शेयर बिक्री का आकार मूल्यांकन पर निर्भर करता है। नियामक प्रक्रियाओं की संख्या को देखते हुए मौजूदा वित्त वर्ष की चौथी तिमाही की समय सीमा को किसी भी हाल में पूरा करना मुश्किल होगा।

सरकार अपने 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए एलआईसी आईपीओ और बीपीसीएल रणनीतिक बिक्री की लिस्टिंग पर बैंकिंग कर रही है। विनिवेश के बारे में बोलते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार अच्छी प्रगति कर रही है। नौकरशाही और विभिन्न विभागों के बीच समन्वय बनाने में अपना समय लगता है और हम इसे तेज करने की कोशिश कर रहे हैं।”

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने जुलाई में एलआईसी की लिस्टिंग के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी। सरकार लेनदेन के लिए पहले ही 10 मर्चेंट बैंकरों को नियुक्त कर चुकी है। एलआईसी की लिस्टिंग को आसान बनाने के लिए सरकार ने इस साल की शुरुआत में जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956 में लगभग 27 संशोधन किए थे।

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