थानों और पुलिस लाइन में धूमधाम से मनाई जाने वाली जन्माष्टमी की रात कुशीनगर पुलिस के लिए 28 साल पहले मनहूस साबित हुई थी। यही वजह है कि जिले के किसी भी थाने में अब जन्माष्टमी का पर्व नहीं मनाया जाता है। आगे पढ़िए पूरी कहानी…
कुशीनगर, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में इस बार 28वें साल भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी नहीं मनाई जाएगी। हालांकि जिले के विभिन्न मंदिरों व घरों में इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन जिले के सभी थाने सुने पड़े रहते हैं। आइए इस लेख के जरिए हम आपको बताते हैं कि थानों और पुलिस लाइन में जन्माष्टमी न मनाने के पीछे की वचह क्या है…
पचरुखिया कांड के बाद से नहीं मनाई जाती है जन्माष्टमी
कुशीनगर पुलिस के जन्माष्टमी न मनाने का कारण यह है कि इसी तिथि की काली रात को बहुचर्चित पचरुखिया कांड (पुलिस व बदमाश मुठभेड़) में जाबांज थानाध्यक्ष अनिल पांडेय सहित पुलिस के छह जवान शहीद हो गए थे। रोंगटे खड़ा कर देने वाली वह घटना अभी भी पुलिसकर्मियों के जेहन में जदा है। जश्न के दिन उस मंजर को याद कर उनका कलेजा कांप जाता है।
पुलिस को मिली थी यह सूचना
पडरौना को नवसृजित जनपद का दर्जा मिलने के बाद पहले साल समूचा जनपद अति उत्साह से मनाए जा रहे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव में व्यस्त था। उसी दरम्यान 29 अगस्त 1994 को पडरौना कोतवाली पुलिस को सूचना मिली कि जंगल दस्यु बेचू मास्टर व रामप्यारे कुशवाहा उर्फ सिपाही पचरूखिया के ग्राम प्रधान राधाकृष्ण गुप्त के घर डकैती डाल उनकी हत्या का योजना बना रहे हैं। तत्कालीन कोतवाल योगेंद्र प्रताप सह ने यह जानकारी एसपी बुद्धचंद को दी।
टीम में ये लोग हुए थे शामिल
एसपी ने कोतवाल को थाने में मौजूद फोर्स के अलावा मिश्रौली डोल मेला में लगे जवानों को लेकर मौके पर पहुंचने का निर्देश दिया। इसी बीच पहुंचे एसओ तरयासुजान, अनिल पांडेय को भी एसपी ने इस अभियान में शामिल होने का आदेश दिया। बदमाशों की धर पकड़ के लिए सीओ पडरौना आरपी सिंह के नेतृत्व में गठित टीम में सीओ हाटा गंगानाथ त्रिपाठी, दरोगा योगेंद्र सिंह, आरक्षी मनिराम चौधरी, राम अचल चौधरी, सुरेंद्र कुशवाहा, विनोद सिंह व ब्रह्मदेव पांडेय शामिल किए गए। जबकि दूसरी टीम एसओ तरयासुजान अनिल पांडेय के नेतृत्व में एसओ कुबेरस्थान राजेंद्र यादव, दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, खेदन सिंह, विश्वनाथ यादव, परशुराम गुप्त, श्यामा शंकर राय, अनिल सिंह व नागेंद्र पांडेय के साथ रात्रि साढे़ नौ बजे बांसी नदी किनारे पहुंची। वहां पता चला कि बदमाश पचरूखिया गांव में हैं, तो पुलिसकर्मियों ने नाविक भुखल को बुला डेंगी को उस पार ले चलने को कहा।
नदी पार करते समय बदमाशों ने कर दिया बम विस्फोट
भुखल ने दो बार में डेंगी से पुलिस कर्मियों को बांसी नदी के उस पार पहुंचाया, लेकिन बदमाशों का कोई सुराग नहीं मिला। पहली खेप में सीओ समेत अन्य पुलिस कर्मी नदी इस पार वापस हो लिए। जबकि दूसरी टीम के डेंगी पर सवार होकर चलते ही नदी के समीप पहुंचे बदमाशों ने पुलिस टीम पर बम विस्फोट करते हुए ताबड़तोड़ फायर झोंक दिया, जिसमें नाविक भुखल व सिपाही विश्वनाथ यादव को गोली लग गई और डेंगी अनियंत्रित हो गई। इससे सवार सभी पुलिसकर्मी नदी में गिर पड़े। इस दौरान बदमाशों ने पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ 40 राउंड फायर किया। घटना की सूचना सीओ सदर आरपी सिंह ने वायरलेस से एसपी को दी।
इन जवानों ने दी थी प्राण की आहुति
इसके बाद मौके पर पहुंची फोर्स ने डेंगी सवार पुलिसकर्मियों की खोजबीन की। जहां एसओ तरयासुजान अनिल पांडेय, एसओ कुबेरस्थान राजेंद्र यादव, तरयासुजान थाने के आरक्षी नागेंद्र पांडेय, पडरौना कोतवाली में तैनात आरक्षी खेदन सिंह, विश्वनाथ यादव व परशुराम गुप्त मृत पाए गए। घटना में नाविक भुखल भी मारा गया था। जबकि दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, श्यामा शंकर राय व अनिल सिंह सुरक्षित बच निकले। घटना स्थल पर पुलिस के हथियार व कारतूस बरामद तो हो गए लेकिन अनिल पांडेय की पिस्तौल अभी तक नहीं बरामद हो सकी है।
एसपी पर लगे थे गंभीर आरोप
इस घटना में कोतवाल योगेंद्र सिंह ने कुबेरस्थान थाने में अज्ञात बदमाशों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया था। घटना के बाद तत्कालीन डीजीपी ने भी घटनास्थल का दौरा कर मुठभेड़ की जानकारी ली थी। घटना को लेकर एसपी पर गंभीर आरोप लगे थे।
क्या कहते हैं अधिकारी
एसपी धवल जायसवाल ने बताया कि कर्म पथ पर शहीद हुए पुलिसकर्मियों के प्रति कुशीनगर पुलिस परिवार सदैव ऋणी रहेगा। उनकी याद में इस जन्माष्टमी पर भी पुलिस लाइन व थानों में किसी तरह का कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं होंगा।