तमाम सख्ती के बावजूद यूपी के प्राइमरी स्कूलों में अभी तक शत-प्रतिशत किताबें नहीं पहुंच पाई हैं। इस लापरवाही के चलते एक करोड़ से ज्यादा बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है। जबकि तय हुआ था कि पांच सितंबर तक सभी जिलों में किताबें पहुंच जाएंगी।
लखनऊ । आखिरकार प्राथमिक विद्यालयों की बेहतरी की सारी तैयारियां बेकार गईं। दो साल बाद जो बच्चे विद्यालय पहुंचे वे अब तक किताबों की ही राह देख रहे हैं। स्कूलों के ताबड़तोड़ निरीक्षण से शिक्षकों की उपस्थिति सुधरी जरूर लेकिन वे भी गिनती और ककहरा के आगे नहीं बढ़ पा रहे, क्योंकि किताबें नहीं मिल सकी हैं। हालत यह है कि आधा शैक्षिक सत्र बीत रहा है और किसी जिले में शत-प्रतिशत किताबें नहीं पहुंच सकी हैं।
चार अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रावस्ती जिले में स्कूल चलो अभियान का शुभारंभ करते हुए दो करोड़ बच्चों को प्रवेश दिलाने का बड़ा लक्ष्य तय किया था, अधिकारियों ने इस पर हामी भरी लेकिन अपेक्षित तैयारियां नहीं कर सके। प्रदेश के 1.33 लाख विद्यालयों में एक करोड़ 92 लाख बच्चे प्रवेश पा चुके हैं और संख्या लगातार बढ़ रही है। ज्ञात हो कि प्राथमिक विद्यालयों में 30 सितंबर तक प्रवेश दिया जाता है। बेसिक शिक्षा विभाग ने सात जून को सभी बच्चों के लिए 11 करोड़ 50 लाख किताबें छपवाने का 13 प्रकाशकों के साथ करार किया। इसमें तय हुआ था कि पांच सितंबर तक सभी जिलों में किताबें पहुंच जाएंगी।
प्रकाशकों ने छिटपुट आपूर्ति जुलाई के अंत से ही शुरू कर दी लेकिन पांच सितंबर तक किसी भी जिले में शत प्रतिशत आपूर्ति नहीं कर सके हैं। कई जिले तो ऐसे हैं जहां किताबें अभी 50 प्रतिशत भी नहीं पहुंच सकी हैं। अधिकांश जिलों में जिला मुख्यालयों या फिर विकासखंड मुख्यालयों पर ही किताबें जमा हैं, यही वजह है कि 13 में से 12 प्रकाशकों को नोटिस दी जा चुकी है और करीब आधा दर्जन जिलों को आपूर्ति में ढिलाई करने पर नोटिस भेजी गई है। पाठ्य पुस्तक अधिकारी श्याम किशोर तिवारी ने बताया कि अब तक आठ करोड़ 75 लाख किताबों की आपूर्ति हो गई है। इनमें मेरठ, बुलंदशहर, गाजियाबाद, आगरा, कानपुर नगर, लखनऊ, प्रयागराज, उन्नाव व बांदा में करीब 95 प्रतिशत से ज्यादा की आपूर्ति हो चुकी है।