रंग लाई सीएम योगी आदित्यनाथ की अपील, यूपी में पहली बार नहीं हुई सड़कों पर ईद की नमाज

पहले बुलडोजर फिर लाउडस्पीकर विवाद और अब ईद की नमाज में यूपी ने कानून व्यवस्था की मिसाल पेश की है। राम नवमी हनुमत जयंती और अलविदा की नमाज के बाद ईद अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती की परीक्षा में योगी सरकार पास हो गई है।

 

लखनऊ,  ईद-उल-फित्र के पाक मौके पर उत्तर प्रदेश ने एक नया इतिहास रचा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आह्वान पर इस बार पूरे प्रदेश में कहीं भी यातायात बाधित कर सड़कों पर ईद की नमाज नहीं अदा की गई। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी सीएम योगी के अपील का समर्थन किया था, नतीजतन, ईद की नमाज ईदगाह अथवा अन्य तयशुदा पारंपरिक स्थान पर ही हुई। हापुड़ और लोनी (गाजियाबाद) सहित कई क्षेत्रों में जहां मस्जिद और ईदगाहों में जगह कम थी वहां तो अलग-अलग शिफ्ट में लोगों ने नमाड पढ़ी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ईद, अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती के सौहार्द के बीच शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न होने पर सभी का अभिनंदन किया है। सीएम योगी ने कहा ‘ईद के मौके पर पूरे प्रदेश में कहीं भी सड़कों पर नमाज नहीं पढ़ी गई। जहां स्थान का अभाव रहा वहां, शिफ्टवार नमाज हुई। एक अच्छी पहल को प्रदेशवासियों ने सहर्ष स्वीकार किया। धर्मगुरुओं ने आगे आकर लोगों का मार्गदर्शन किया। इसके लिए सभी का अभिनन्दन।’

पिछले वर्षों तक जहां 50 हजार से एक लाख लोग सड़कों व अन्य स्थानों पर नमाज पढ़ते थे, वहां प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है ईद की नमाज सडकों पर नहीं हुई। इससे पहले, अलविदा की नमाज के समय भी ऐसी ही अभूतपूर्व स्थिति देखी गई थी, जब मुख्यमंत्री की अपील पर लोगों ने मस्जिदों में ही नमाज अदा की थी।

यही नहीं, ईद, अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती के एक ही दिन होने से यूपी में जताई जा रही विवाद की आशंका भी निर्मूल साबित हुई। लोगों ने ईदगाहों में नमाज पढ़ी तो परशुराम जयंती पर विविध संगठनों ने शांतिपूर्ण आयोजन भी किए। प्रदेश के सभी 75 जिलों से हर्ष और उल्लास के साथ त्योहार मनाए जाने की सूचना है। वहीं राजस्थान के जोधपुर सहित देश के कुछ प्रान्तों में ईद पर दो समुदायों के बीच हिंसा व तनाव की खबरें आई हैं।

बीते दिनों, सीएम योगी ने अधिकारियों को ईद, अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती के एक ही दिन होने पर पुलिस और प्रशासन को अतिरिक्त संवेदनशील रहने को कहा था। साथ ही, सड़क पर यातायात रोक कर नमाज पढ़ने से सामान्य जन को होने वाली परेशानी का हवाला देते हुए इस बावत धर्मगुरुओं से संवाद बनाने के निर्देश भी दिए थे।

मुख्यमंत्री के प्रयास का सकारात्मक असर देखने को मिला और कहीं भी सड़क पर नमाज नहीं हुई। सीएम के निर्देश पर एहतियातन यूपी पुलिस ने सुरक्षा चाक चौबंद की थी। अनुमान के मुताबिक इस वर्ष प्रदेश में करीब 33 हजार जगहों पर नमाज अदा की गई, इसमें 2,800 स्थानों को चिन्हित कर सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए गए थे।

 

बुलडोजर माडल और धार्मिक स्थलों पर लगे अनावश्यक लाउडस्पीकर की समस्या के सौहार्दपूर्ण निदान के बाद अब सड़क पर नमाज पढ़ने की समस्या का आम सहमति से हल पेश करने वाले योगी आदित्यनाथ के ला एंड आर्डर माडल की सराहना हो रही है। इन दिनों देश के विभिन्न प्रान्तों में चल रहे लाउडस्‍पीकर विवाद के बीच यूपी में सीएम योगी ने मंदिर-मस्जिद सहित सभी धर्मस्‍थलों पर तय मानकों के मुताबिक लाउडस्पीकर को कम आवाज में बजाने को कहा।

 

मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर ने आगे बढ़कर इस आह्वान का समर्थन करते हुए लाउडस्पीकर की आवाज को कम किया अथवा उतारा तो स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने भी सभी धर्मगुरुओं से संवाद किया और स्वप्रेरणा से मस्जिदों से भी अनावश्यक लगे लाउडस्पीकर उतरने लगे। मंदिर हो या कि मस्जिद, नियम विरुद्ध लगे लाउडस्पीकर उतरने के दृश्य यूपी में आम हो चले हैं। सबसे खास बात कि यह पूरी प्रक्रिया आम सहमति से हो रही है, कहीं से भी हिंसा, विवाद जैसी अप्रिय घटनाओं की कोई खबर नहीं आई।

 

यूपी में बन रही शांति और सौहार्द की नई परंपरा सामाजिक सौहार्द और कानून-व्यवस्था को शीर्ष प्राथमिकता मानने वाले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोशिशें रंग लाने लगी हैं। शांति और सौहार्द के साथ धार्मिक आयोजन होना यूपी में एक परंपरा बनती जा रही है, तो योगी के कानून व्यवस्था ने अन्य राज्यों के सामने नजीर भी पेश किया है।

बीती रामनवमी पर देश के कई राज्यों से हिंसा और उत्पात की अनेक घटनाएं हुईं। रामनवमी के अवसर पर शोभा यात्रा निकली, तो शहर-शहर बलवा और बवाल हुआ, लेकिन उत्तर प्रदेश में 800 से अधिक शोभायात्राएं निकलीं और विवाद की एक भी घटना नहीं हुई।

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