अयोध्या में 23 अक्टूबर को होने वाले दीपोत्सव पर लोगों को सात देशों की सांस्कृतिक विरासत को जानने का अवसर मिलेगा। यह छठा दीपोत्सव अब तक का सबसे भव्य होगा। इस दीपोत्सव में साढ़े 14 लाख जलते दीयों का कीर्तिमान बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
अयोध्या । आगामी 23 अक्टूबर को होने वाला अब तक का सबसे भव्य छठा दीपोत्सव प्रथम अवसर होगा, जब लोगों को सात देशों की सांस्कृतिक विरासत को जानने का अवसर मिलेगा। दीपोत्सव में न सिर्फ साढ़े 14 लाख जलते दीयों का कीर्तिमान बनाने का लक्ष्य रखा गया है, बल्कि विदेशी रामलीला के दलों की संख्या भी सर्वाधिक रहेगी।
चार देशों की रामलीला के कार्यक्रम लगभग तय
इस बार सात देशो की रामलीला मंडलियों को दीपोत्सव में रामनगरी लाने की तैयारी चल रही है। इसमें चार देशों के रामलीला दलों के कार्यक्रम लगभग तय भी हो चुके हैं और शेष तीन देशों की रामलीला कमेटियों के साथ पत्राचार अंतिम दौर में है।
कोरोना के टाइम आए थे दो देश
दीपोत्सव में वर्ष 2018 में सर्वाधिक विदेशी रामलीला दलों ने प्रस्तुति दी थी। उस समय सूरीनाम, ट्रिनिडाड एंड टोबैगो, फिजी, इंडोनेशिया, थाईलैंड व रूस के दलों ने दीपोत्सव पर रामलीला की प्रस्तुति दी थी। गत वर्ष कोरोना की बंदिशों के बीच सिर्फ दो देशों के ही रामलीला दल अयोध्या आए थे। नेपाल व श्रीलंका ने अपने रामलीला दलों को भेजा था।
पहली बार सात विदेशी दल आएंगे
इस बार दीपोत्सव में प्रथम बार सात विदेशी रामलीला दल अयोध्या में होंगे। इसमें ट्रिनिडाड एंड टोबैगो, थाईलैंड, दुनिया में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी के देश इंडोनेशिया, कंबोडिया के रामलीला दलों के कार्यक्रम लगभग तय हो गए हैं। वहीं रूस, फिलीपींस व श्रीलंका से पत्राचार अंतिम दौर में है।
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद इन देशों की रामलीला कमेटियों से वार्ता कर रही है। अयोध्या शोध संस्थान के प्रशासनिक अधिकारी रामतीर्थ ने बताया कि चार देशों की रामलीला कमेटियों का आना लगभग तय है। शेष तीन देशों की कमेटियों से भी वार्ता चल रही है