South Asia Terrorism Portal के मुताबिक वर्ष 2000 से अब तक भारतीय सेना ने अब तक 23390 आतंकियों और उनकी मदद करने वालों को मौत के घाट उतार दिया है। इसके लिए करीब 7345 सिक्योरिटी फोर्स के जवानों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है।
नई दिल्ली । आज हमारे बीच रावण नहीं है पर उसके सिर के तौर पर जानी जाने वाली बुराइयां हमारे बीच अभी भी हैं। रावण के आतंक से दुनिया के सभी जीव जंतुओं के साथ ही देवता भी दुखी रहते थे। आज दुनिया में बढ़ रही आतंकवाद की समस्या के चलते हर साल हजारों लोगों की जान जा रही है। बच्चे बेघर हो रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में अफगानिस्तान में कुल 1750 हमले हुए वहीं इसी साल भारत में कुल 655 आतंकी हमले हुए। South Asia Terrorism Portal के मुताबिक वर्ष 2000 से अब तक भारतीय सेना ने अब तक 23390 आतंकियों और उनकी मदद करने वालों को मौत के घाट उतार दिया है। इसके लिए करीब 7345 सिक्योरिटी फोर्स के जवानों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है।
भारत में आतंकवाद के प्रमुख तौर पर तीन चेहरे दिखाई देते हैं। पहला चेहरा धर्म या जिहाद के नाम पर आतंकवाद फैलाने वाले पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों के तौर पर दिखाई देता है। इसमें कश्मीर में सक्रिय अलकायदा, हिजबुल मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, सिमी, इण्डियन मुजाहिदीन, हरकत-उल-अंसार, अलउमर-मुजाहिदीन,जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रण्ट, दीनदार-ए-अंजुमन और पंजाब में सक्रिय रहे और लगभग खत्म हो चुके खालिस्तान कमांडो फोर्स, बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान ज़िन्दाबाद फोर्स जैसे संगठन आते हैं।
दूसरा चेहरा प्रादेशिक सम्प्रभुता के नाम पर आतंक फैलाने वाले संगठनों का है, इनमें प्रमुख पूर से असम में उल्फा, बोडो, एन.डी.,एफ.बी. आदि, त्रिपुरा में एन.एल.एफ.टी., ए.टी.टी.एफ. आदि, नागालैंड में एन.एस.सी.एन., एन.एन.सी. आदि,मेघालय में ए.एन.वी.सी., अरुणाचल प्रदेश में यू.एल.एफ.ए.पी., मणिपुर में पी.एल.ए., यू.एन.एल.एफ. आदि तथा तमिलनाडु में तमिल आतंकवादी संगठन लिट्टे सक्रिय है। कुछ संगठन सामाजिक आर्थिक शोषण के नाम पर लोगों को आतंकवादी घटनाओं के लिए संगठित करते हैं। यह आतंकवाद का तीसरा चेहरा है। नक्सलवाद की समस्या इसी के तहत खड़ी हुई है।
2019 में हुए आतंकी हमले
अफगानिस्तान 1750
सीरिया 1028
भारत 655
इराक 540
सोमालिया 486
नाइजीरिया 458
यमन 395
फिलिपींस 351
कोलंबिया 291