रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, महंगाई पर कंट्रोल का पुख्‍ता प्‍लान तैयार,

RBI गवर्नर ने कहा कि 2022-23 के पहले क्‍वार्टर में CPI Inflation 5.1 फीसद रहेगा। शक्तिकांता दास ने कहा कि हम महामारी से उबरने के फेज में हैं। सरकार को रिकवरी के लिए हर ओर से नीतिगत फैसले लेने होंगे।

 

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने सुबह 10 बजे मौद्रिक नीति समिति (MPC) पर नीतिगत फैसले की घोषणा की। आरबीआई गवर्नर ने रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा है और यह 4 फीसद पर बरकरार है। रिवर्स रेपो दर भी 3.35 फीसद पर अपरिवर्तित है। RBI गवर्नर ने कहा कि CPI inflation 2021-22 में 5.7 फीसद रहने का अनुमान है। इसमें Q2 में 5.9 फीसद, Q3 में 5.8 फीसद और Q4 में 5.8 फीसद रहने का अनुमान है। RBI गवर्नर ने कहा कि 2022-23 के पहले क्‍वार्टर में CPI Inflation 5.1 फीसद रहेगा। शक्तिकांता दास ने कहा कि हम महामारी से उबरने के फेज में हैं। सरकार को रिकवरी के लिए हर ओर से नीतिगत फैसले लेने होंगे।

शक्तिकांता दास ने कहा कि हम महामारी से उबरने के फेज में हैं। सरकार को रिकवरी के लिए हर ओर से नीतिगत फैसले लेने होंगे। दास ने कहा कि GDP ग्रोथ का अनुमान FY22 की दूसरी तिमाही में 7.3%, तीसरी तिमाही में 6.3% और चौथी तिमाही में 6.1% है।

RBI गवर्नर ने कहा कि दूसरी तिमाही तक महंगाई दर ऊंची रहने की संभावना बनी हुई है। इसके अलावा खरीफ फसल और सप्लाई सुधरने से महंगाई में कमी आ सकती है। RBI हर 15 दिन में VRRR ऑक्शन करेंगे।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार को डिमांड और सप्‍लाई का खास ख्‍याल करना होगा। उन्होंने कहा कि डिमांड सप्‍लाई में तालमेल बनाकर ही महंगाई पर काबू पाया जा सकता है। GDP ग्रोथ प्रोजेक्‍शन 2021-22 में 9.5 फीसद रहेगा। जून में इकोनॉमिक एक्टिविटी को बढ़ावा मिला है। ऐसा मौद्रिक नीति समिति को उम्‍मीद थी।

गवर्नर ने कहा कि इकोनॉकी Covid की दूसरी लहर से उबर रही है। उद्योग खुल रहे हैं। काम-धंधा पटरी पर आ रहा है। डिमांड बढ़ रही है। इससे आने वाले दिनों में इकोनॉमिक एक्‍टीविटीज को बढ़ावा मिलेगा।

निवेश की डिमांड अभी भी कम है। लेकिन मेटल और दूसरे उद्योग रिवाइवल की ओर बढ़ रहे हैं। सरकार के राहत पैकेजों से भी उद्योग-धंधों में कारोबारी गतिविधियां बढ़ाने में मदद मिली है,

शक्तिकांत दास ने कहा कि Vaccination का पेस बढ़ने से लोगों में बाहर निकलने का डर कम हुआ है। इससे बाजार में भले ही भीड़ बढ़ी है लेकिन खरीदारी भी बढ़ी है, जो इकोनॉमी की तरक्‍की के लिए जरूरी है। निवेश की डिमांड अभी भी कम है। लेकिन मेटल और दूसरे उद्योग रिवाइवल की ओर बढ़ रहे हैं। सरकार के राहत पैकेजों से भी उद्योग-धंधों में कारोबारी गतिविधियां बढ़ाने में मदद मिली है।

गवर्नर ने जून में अपनी पिछली बैठक में दरों को अपरिवर्तित रखा था, तब रेपो दर को 4 फीसद और रिवर्स रेपो दर को 3.35 फीसद पर बरकरार रखा गया था।

उल्लेखनीय है कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था अभी रिकवरी के दौर से गुजर रही है। हाल के दिनों में अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक समेत कई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक एजेंसियों ने वर्ष 2021-22 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर के लक्ष्य को घटा दिया है।

 

गौरतलब है कि दो महीने पहले की समीक्षा में आरबीआइ गवर्नर की ओर से कहा गया था कि अगर जरूरत पड़ी तो ब्याज दरों को नीचे लाया जा सकता है। श्रीराम सिटी यूनियन फाइनेंस के एमडी व सीईओ वाईएस चक्रवर्ती ने कहा कि मार्च, 2021 के बाद से अधिकांश सेक्टर में मांग की स्थिति में बहुत सुधार नजर नहीं आ रहा। अभी ब्याज दरों को कम रखने से दोपहिया वाहनों व दूसरे उद्योगों में मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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