लखनऊ की सीमा पर कठवारा के जंगल में है तेंदुए का जोड़ा ! उसके ही भटक कर शहर आने की आशंका

लखनऊ माल और बक्शी का तालाब सीमा पर कठवारा के जंगल में तेंदुआ का जोड़ा है। करीब एक वर्ष पहले तेंदुए के दो पगचिन्ह पाए गए थे। वन विभाग ने इसकी पुष्टि भी की थी। ऐसे में आशंका है कि कल्याणपुर और अलग-अलग जगहों दिख रहा तेंदुआ वही तो नहीं।

 

लखनऊ,  लखनऊ माल और बक्शी का तालाब सीमा पर कठवारा के जंगल में तेंदुआ का जोड़ा है। करीब एक वर्ष पहले तेंदुए के दो पगचिंह पाए गए थे और वन विभाग ने इसकी पुष्टि भी की थी। ऐसे में कल्याणपुर और अलग-अलग जगहों पर दिखे तेंदुए को लेकर यह आशंका जताई जा रही है कि कहीं कठवारा में रह रहा तेंदुए का जोड़ा तो नहीं आ गया है। जिस जगह तेंदुआ है, उसके पास ही कठवारा गांव भी है, जहां बड़ी आबादी के साथ ही मवेशी भी रहते हैं।

इसके अलावा कठवारा जंगल में मवेशी होने से तेंदुए को भोजन की कोई दिक्कत नहीं हो रही थी। वन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए लगाए गए कैमरों में तेंदुआ के दो पगमार्क भी कैद हो गए थे। डीएफओ डा. रवि कुमार सिंह कहते हैं कि करीब साल भर पहले कटवारा के जंगल में तेंदुआ होने की पुष्टि हुई थी लेकिन फिर उसकी लोकेशन नहीं मिली थी। कल्याण पुर में दिखा तेंदुआ ने अपना क्षेत्र कुर्सी रोड के आसपास बनाया है,इससे लगता है कि कठवारा के जंगल से ही तेंदुआ आया होगा।

लखनऊ में आते रहते हैं बाघ और तेंदुआः यह पहली बार नहीं है, जब लखनऊ में बाघ और तेंदुआ आबादी के बीच आए हों। कभी कुछ समय पहले ही कानपुर रोड पर बंथरा के पास एनबीआरआइ (राष्ट्रीय वनास्पति अनुसंधान केंद्र) परिसर में तेंदुआ आ गया था। वह पकड़ा तो नहीं गया, लेकिन सड़क दुर्घटना में उसकी मौत हो गई थी। कुछ साल पहले ठाकुरगंज में एक प्राथमिक स्कूल में घुस आया था। इससे पहले आशियाना के आवासीय क्षेत्र में दहशत बने तेंदुआ को पुुलिस इंसपेक्टर त्रिलोकी सिंह को तब मारना पड़ा था, वह कई लोगों पर हमला कर रहा। तीन माह पहले भी गोसाईगंज और पीजीआइ के पास भी तेंदुआ देखा गया था। लखनऊ में आए बाघ और तेंदुआ से किसी की मौत तो नहीं हुई, लेकिन हमले में काफी लोग जख्मी हो चुके हैं। करीब एक दशक पूर्व काकोरी के रहमान खेड़ा में बाघ 109 दिन बाद पकड़ा गया था।

कुछ घटनाएंः

वर्ष 1993 में कुकरैल पिकनिक स्पॉट में देखे गए बाघ को आखिरकार मजबूरी में मारना पड़ा था।

वर्ष 2009 में माल के कमालपुर लधौरा में तेंदुआ पकड़ा गया

वर्ष 2009 में मोहनलालगंज में दहशत फैलाने वाले बाघ को फैजाबाद(अयोध्या) में मारा गया था।

वर्ष 2012 में माल के उतरेहटा गांव में तेंदुआ पकड़ा गया।

अप्रैल 2012 में काकोरी के रहमान खेड़ा में बाघ पकड़ा गया।

21-22 अप्रैल 2013 की रात एसजीपीजीआइ के पास रानी खेड़ा में तेंदुआ पकड़ा गया।

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