लखनऊ के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बुधवार शाम गई बिजली शुक्रवार दस बजे तक भी नहीं आ सकी थी। इससे नाराज उपभोक्ताओं ने आशियाना स्थित बिजली उपकेंद्र का घेराव किया। उपभोक्ताओं ने बताया कि आशियाना के सेक्टर एम एन व एल सहित कई सेक्टरों में संकट है।
लखनऊ, बारिश की रफ्तार धीमी होने के बाद भी बिजली बहाली को लेकर जो काम होने चाहिए, वह बिजली महकमा नहीं कर पाया। राजधानी व ग्रामीण क्षेत्रों में बुधवार शाम गई बिजली शुक्रवार दस बजे तक भी नहीं आ सकी थी। इससे नाराज उपभोक्ताओं ने आशियाना स्थित बिजली उपकेंद्र का घेराव किया। उपभोक्ताओं ने बताया कि आशियाना के सेक्टर एम, एन व एल सहित कई सेक्टरों में संकट है। वहीं गोमती नगर, अलीगंज सेक्टर एन, सदर, अमीनाबाद के गणेशगंज, पुराने लखनऊ, सेस के क्षेत्रों में बिजली संकट बना रहा। उपभोक्ताओं ने आरोप लगाया कि अवर अभियंता से लेकर मुख्य अभियंता तक फोन नहीं उठा रहे हैं। वहीं टोल फ्री नंबर 1912 पर जो त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए थी, वह पूरी तरह से शिथिल पड़ गई। रहीमनगर, सीतापुर रोड, बीकेटी, चिनहट खंड के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रो में स्थिति सबसे ज्यादा खराब रही।
मध्याचंल एमडी सूर्य पाल गंगवार स्वयं बिजली बहाल करवाने में लगे, लेकिन साठ फीसद इलाकों में बिजली संकट बना रहा। उन्होंने अभियंताओं को आदेश दिए हैं कि 17 और 18 सितंबर को भी बारिश की संभावना जताई गई है। इसलिए वह सतर्क रहे। जहां बारिश के कारण बिजली बाधित हो रही है, उसे जल्द से जल्द बहाल करवाएं। हालांकि उपकेंद्रों में संविदा कर्मचारियों की संख्या और उपकरण सीमित होने के कारण जो फाल्ट सामान्य दिन में एक घंटे में ठीक होता था, उसमें अब ढाई से तीन घंटे लग रहे हैं। संविदा कर्मचारी भी बरसात में लगातार भीगकर परेशान हो गए हैं। गंगवार ने सभी कर्मचारियों व अफसरों को उपभोक्ताओं के फोन अटेंड करने के आदेश दिए हैं, इसके बाद भी उपभोक्ता के फोन बिजली उपकेंद्रों में उठाए नहीं जा रहे हैं। उधर बिजली संकट होने से घरों में पानी को लेकर सबसे ज्यादा परेशानी रही।
1912 में शिकायतों का निस्तारण जल्द हो : टोल फ्री नंबर 1912 में शिकायत आने का ग्राफ दोगुना बढ़ गया है। मध्यांचल के प्रबंध निदेशक सूर्य पाल ने 1912 सेंटर का निरीक्षण भी किया। निरीक्षण के दौरान एमडी को गलत जानकारी दी कि शहरी क्षेत्र के अधिकांश क्षेत्र में बिजली बहाल कर दी गई, जबकि वास्तविक स्थिति कुछ और थी। शहर के कई हिस्सों में बिजली की आंख मिचौली और संकट बरकरार रहा। वहीं गांवों में अभियंताओं ने बिजली बहाल करवाने में वहीं रुचि ली, जहां उपभोक्ताओं का दबाव ज्यादा रहा।