भाजपा के लिए सुरक्षित मानी जा रही राजधानी की कैंट सीट में इस बार सभी दलों ने जोर लगाया है। 1991 से अब तक यहां सिर्फ 2012 में कांग्रेस से रीता बहुगुणा जोशी ने भाजपा को हराया था। लगातार यहां भगवा परचम ही लहराया।
लखनऊ ; भाजपा के लिए सुरक्षित मानी जा रही राजधानी की कैंट सीट में इस बार सभी दलों ने जोर लगाया है। 1991 से अब तक यहां सिर्फ 2012 में कांग्रेस से रीता बहुगुणा जोशी ने भाजपा को हराया था। लगातार यहां भगवा परचम ही लहराया। वर्ष 2017 के चुनाव में भी रीता बहुगुणा जीती थीं, लेकिन भाजपा उम्मीदवार के रूप में। बाद में सांसद बनने पर उन्होंने जब सीट छोड़ी तो उप चुनाव में उनसे पहले तीन बार भाजपा से विधायक चुने गए सुरेश तिवारी ने जीत दर्ज की थी। इस बार यहां से कानून मंत्री ब्रजेश पाठक चुनाव लड़ रहे हैं और सपा, कांग्रेस, बसपा जैसे प्रमुख दलों के सामने उन्हें पछाड़ने की चुनौती है। सीट पर जीत-हार का परिणाम करीब डेढ़ लाख ब्राह्मण और लगभग 50 हजार सिंधी-पंजाबी मतदाता तय करते हैं।
प्रत्याशी घोषणा से पहले इस सीट को लेकर काफी राजनीतिक उथल-पुथल रही। भाजपा में रीता बहुगुणा अपने बेटे के लिए टिकट मांग रही थीं। कई अन्य दावेदार भी थे। सपा ने भी देर तक पत्ते नहीं खोले। काफी सस्पेंस के बाद मध्य क्षेत्र से विधायक व कानून मंत्री ब्रजेश पाठक को यहां से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया। वहीं, सपा ने कई बार के पार्षद राजू गांधी पर दांव लगाया। नामांकन के अंतिम दिन तक रीता बहुगुणा के बेटे मयंक के सपा में जाने की चर्चा रही, लेकिन बाद में अटकलें निर्मूल साबित हुईं। यही नहीं ब्रजेश पाठक के समर्थन में रीता बहुुगुणा व अन्य टिकट न पाने वाले नेता क्षेत्र में वोट मांगने भी उतर चुके हैं।
यहां के मुद्दे : छावनी क्षेत्र के आवासीय इलाकों को पर्याप्त सुविधाएं चाहिए। लोगों के पीने के लिए पेयजल का अभाव। सीवर की समस्या आजादी के बाद से है। बारिश में जलभराव भी एक अहम मुद्दा है।
3,65,241 कुल मतदाता
मुस्लिम 40 हजार
सिंधी/पंजाबी 50 हजार
वैश्य 25 हजार
अनुसूचित जातियां 25 हजार
क्षत्रिय/श्रीवास्तव 20 हजार
अन्य पिछड़ा वर्ग 40 हजार
2017 का परिणाम