नगर निकाय चुनाव में आरक्षण की तैयारी है। अनारक्षित सीट पर कैंची चल जाएगी। वर्ष 2017 के चुनाव में अनारक्षित सीट की सीटों की संख्या 53 थी जो अब घटकर 50 हो जाएंगी। इसी तरह 25 सीटें महिला आरक्षित होंगी।
लखनऊ, आवाज़ ~ ए ~ लखनऊ । रैपिड सर्वे (पिछड़ा वर्ग) की गणना का काम गुरुवार को पूरा होने से नगर निगम के 110 वार्डों में राजनीतिक गतिविधियां भी तेज हो जाएंगी। इसगणना से सीटों पर जातीय समीकरण भी बदल जाएगा। वार्डों का आरक्षण का खाका तय होने के बाद ही स्थितियां साफ हो पाएंगी, लेकिन मौजूदा पार्षदों के साथ ही पहली बार चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे संभावित उम्मीदवारों की भी धुकधुकी तेज हो गई है, वार्ड का जातीय समीकरण कैसा होगा? 2017 के निकाय चुनाव में पिछड़ा (जनगणना 2011 के आधार पर) वर्ग के लिए 20 सीटें आरक्षित की गई थीं, जो अब नगर निगम सीमा में विस्तारित क्षेत्र शामिल होने से बढ़ गई है।
इतनी सीटें होंगी आरक्षितः पिछड़े वर्ग की आबादी बढऩे से आरक्षण का लाभ भी इस वर्ग को अधिक मिलेगा। निकाय चुनाव में बीस के बजाय 21 सीटें पिछड़ा वर्ग (पुरुष-महिला) के लिए आरक्षित हो जाएंगी। इसी तरह अनुसूचित जाति की सीटों की संख्या भी बढ़ जाएगी। इस वर्ग के लिए अभी तक बारह सीटें (महिला पुरुष) थीं, जो बढ़कर 14 हो जाएंगी। अनारक्षित सीट पर कैंची चल जाएगी। वर्ष 2017 के चुनाव में अनारक्षित सीट (सामान्य वर्ग) की सीटों की संख्या 53 थी, जो अब घटकर 50 हो जाएंगी। इसी तरह 25 सीटें महिला आरक्षित होंगी।
लखनऊ नगर निगम की आबादी 30.86 लाखः वर्ष 2011 की जनगणना में नगर निगम सीमा की आबादी 28.17 लाख थी2017 में रैपिड सर्वे (2011 की जनगणना के आधार पर किया गया था। तब पिछड़े वर्ग की संख्या 5.30 हजार थी। 2020 में 88 गांवों के नगर निगम में शामिल होने से 2.69 लाख आबादी बढ़ गई थी। अब नगर निगम की आबादी 2011 की जनगणना के आधार पर 30.86 लाख हो गई है। वहीं, आपत्तियां नगर निगम रैपिड सर्वे (पिछड़ा वर्ग की गणना) की अंतिम रिपोर्ट को शासन भेजने से पहले आपत्तियां मांगेंगा। नगर निगम के जोनल कार्यालयों में शुक्रवार से पिछड़ा वर्ग की सूची चस्पा की जाएगी, जिससे लोग आपत्तियां दर्ज कर सकेंगे।