लखीमपुर खीरी हिंसा के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट से जमानत रद होने के बाद केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा मोनू ने रविवार को सरेंडर कर दिया। मोनू ने सीजेएम कोर्ट में सरेंडर किया जहां से उसको जेल भेज दिया गया।
लखीमपुर खीरी, गांधी जयंती के एक दिन बाद बीते वर्ष लखीमपुर खीरी में उपद्रव के बाद हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत के मामले में केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा मोनू को राहत नहीं है। इलाहाबाद हाई कोट से जमानत मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मोनू की जमानत रद करने के साथ एक हफते में सरेंडर करने का निर्देश दिया था। उस क्रम में आशीष मिश्रा मोनू ने रविवार को सरेंडर किया। इसके बाद पुलिस ने आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को जेल भेज दिया है।
लखीमपुर खीरी हिंसा के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट से जमानत रद होने के बाद केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा मोनू ने रविवार को सरेंडर कर दिया। मोनू ने सीजेएम कोर्ट में सरेंडर किया, जहां से उसको जेल भेज दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने बीते 18 अप्रैल को आशीष की जमानत रद करने को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्र की जमानत रद कर दी थी तथा उन्हें समर्पण करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था।
लखीमपुर खीरी हिंसा के मुख्य आरोपित आशीष मिश्रा के बारे में माना जा रहा था कि वह 25 अप्रैल को सरेंडर करेगा। इसी बीच उसने रविवार को ही सीजेएम कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। अब उसके खिलाफ 26 अप्रैल को आरोप तय होंगे। 26 को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में लखीमुर हिंसा के मुख्य आरोपी और गृह राज्यमंत्री के बेटे आशीष मिश्रा पर आरोप तय करने के लिए सुनवाई होनी है। आशीष मिश्रा को फरवरी के पहले हफ्ते में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जमानत मिली थी जो कि सुप्रीम कोर्ट ने रद कर उसको एक हफ्ते में सरेंडर करने का निर्देश दिया था। एक हफते का समय 25 अप्रैल तक था, लेकिन आशीष ने एक दिन पहले ही जिला अदालत में सरेंडर कर दिया।
डिस्चार्ज एप्लीकेशन में परेशानी : लखीमपुर तिकुनिया हिंसा केस में डिस्चार्ज एप्लीकेशन को लेकर भी परेशानियां खड़ी हो रही हैं। आशीष मिश्रा के सह आरोपी अंकित दास, सत्यम त्रिपाठी, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ काले सहित पांच आरोपियों की ओर से डिस्चार्ज एप्लीकेशन जानी थी। इसके लिए तैयारी कर रहे सीनियर एडवोकेट शैलेंद्र सिंह गौड़ ने मीडिया को जानकारी दी है कि 164 के अधीन दर्ज किए गए बयानों की कॉपी के लिए अप्लाई किए हुए दस दिन से ज्यादा हो गए हैं। स्टाफ कम है, जिसके कारण कापी नहीं बन सकी है। ऐसे में दस दिन में डिस्चार्ज एप्लीकेशन फाइनल कर पाना शायद संभव न हो। हालांकि, तैयारी पूरी चल रही है।