लुधियाना कोर्ट में धमाके के बाद राजधानी की कचहरी में भी सुरक्षा की पड़ताल जरूरी है। लखनऊ का कोर्ट भी बहुत सुरक्षित नहीं है। यहां की कचहरी में भी पहले धमाके हो चुके हैं। अधिकारियों ने मेटल डिटेक्टर लगवाए पुलिसकर्मियों की तैनाती हुई। बावजूद कचहरी की सुरक्षा अभेद्य नहीं है।
लखनऊ, लुधियाना कोर्ट बिल्डिंग में सुरक्षा में चूक की वजह से हुए धमाके के बाद अब लखनऊ कचहरी की सुरक्षा की पड़ताल भी जरूरी है। इस लिहाज से लखनऊ का कोर्ट भी बहुत सुरक्षित नहीं है। यहां की कचहरी में भी पहले धमाके हो चुके हैं। कचहरी परिसर में कई बार सुरक्षा के प्रबल व्यवस्था करने के लिए बैठकें हुईं। अधिकारियों ने मेटल डिटेक्टर लगवाए और पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई। इन सबके बावजूद कचहरी की सुरक्षा अभेद्य नहीं है।
कचहरी में प्रवेश के कई रास्ते हैं। शनिवार को पड़ताल के दौरान अधिकांश पुलिसकर्मी मोबाइल फोन में व्यस्त दिखे। शुक्रवार को पूर्व की अपेक्षा अधिवक्ताओं की भीड़ भी कम थी। हालांकि कचहरी परिसर के बाहर गेट तक वाहन तितरबितर खड़े थे। पूर्व में यहां वाहनों पर पर टिफिन बम लगाकर विस्फोट किया गया था। इन सबके बावजूद सुरक्षा के सख्त इंतजाम देखने को नहीं मिले। खास बात यह है कि लखनऊ की कचहरी में पहले सीरियल बम धमाके हो चुके हैं। कचहरी में 23 नवंबर 2007 को जोरदार बम धमाका हुआ था। ये हमले वाराणसी और अयोध्या (तब फैजाबाद) में भी हुए थे, जिसमें तीन अधिवक्ताओं समेत नौ लोगों की मौत हो गई थी और 50 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे। इस मामले की एफआइआर दर्ज कर एटीएस को जांच सौंपी गई थी। उधर, दो साल पहले
लखनऊ के जिला सत्र न्यायालय में कुछ लोगों ने लखनऊ बार एसोसिएशन के संयुक्त मंत्री संजीव लोधी पर भी हमला कर दिया था। कचहरी में ताबड़तोड़ कई धमाके हुए थे, जो सुतली बम से किए गए थे। इसके अलावा कचहारी परिसर के पहले तल पर स्थित शौचालय में भी विस्फोट की घटना हो चुकी है। इन सबके विपरित कचहरी में अव्यवस्था हावा है और सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति की जा रही ह