विदेश मंत्री जयशंकर बोले, भारत और फ्रांस संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने का है उपयुक्त समय

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को भारत और फ्रांस के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि की और कहा कि यह राजनयिक संबंध लगातार परिपक्व हो गया है और अब इसे अगले स्तर पर ले जाने का एक उपयुक्त समय है।

 

नई दिल्ली, फ्रांस और भारत के विदेश मंत्रियों के बीच आज ‘द फ्रेंच प्रेसीडेंसी: ईयू-इंडिया पार्टनरशिप इन द इंडो पैसिफिक’ विषय पर एक आनलाइन कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में फ्रांसीसी विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियन ने बताया कि फ्रांस के यूरोपीय संघ की अध्यक्षता में 22 फरवरी को यूरोपीय संघ और इंडो-पैसिफिक (पेरिस फोरम) के बीच संबंधों पर एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। वहीं, इस दौरान भारतीय विदेश मंत्री डाक्टर एस जयशंकर ने कहा, ‘कल (26 जनवरी) को हमने गणतंत्र दिवस परेड के समापन पर फ्रांसीसी विमान (राफेल) को उड़ते हुए देखा। मैं इसका उल्लेख इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि यह भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक का एक दृश्य उदाहरण है।’

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को भारत और फ्रांस के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि की और कहा कि यह राजनयिक संबंध लगातार परिपक्व हो गया है और अब इसे अगले स्तर पर ले जाने का एक उपयुक्त समय है। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं अगले महीने फ्रांस द्वारा आयोजित यूरोपीय संघ के मंत्रिस्तरीय मंच के आमंत्रण का स्वागत करता हूं और इसमें भाग लेना सम्मान की बात होगी।

जयशंकर ने याद दिलाया कि कैसे भारत-फ्रांस संबंध लगातार परिपक्व हुए हैं। मंत्री ने याद करते हुए कहा कि यह कुछ दशकों पुराना है। हमारे परमाणु परीक्षण के बाद फ्रांस उन शुरुआती देशों में से एक था, जिनके साथ हम सकारात्मक रूप से जुड़े थे। साथ ही उन्होंने कहा कि समय बीतने के साथ संबंध और मजबूत हुए हैं और यह भी कहा कि संबंध कई मायनों में मजबूत भी हुए हैं।

जयशंकर ने कहा कि रक्षा, परमाणु और अंतरिक्ष जैसे मुद्दों पर फ्रांस एक लंबे समय से हमारा साझेदार है, और एक विश्वसनीय भागीदार है, जिसके साथ निश्चित रूप से यह हमारी सरकार की इच्छा है कि वह संबंध बढ़ाए और इसे अगले स्तर तक ले जाएं।

हालांकि, हम दुनिया के बहुत अलग हिस्सों में स्थित हैं, वास्तव में आज के बड़े मुद्दों पर हमारी सोच समान है। और मेरे विचार में यह एक मजबूत ताकत है। जो घनिष्ठ साझेदारी को प्रेरित करता है। साथ ही उन्होंने कहा, ‘मैं रणनीतिक और राजनीतिक मुद्दों पर जोर दे रहा हूं, लेकिन दोनों देशों के बीच यह व्यापार और अन्य मुद्दे भी हो सकते हैं।’

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