विदेश में देश की आलोचना देशद्रोह का प्रतीक

फिर क्या लाभ अपने राजनैतिक लाभ के लिए विदेशों में रोना रोने की। अगर राहुल गांधी में हिम्मत है तो भारत में रह कर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सामना करना चाहिए।

 

लख़नऊ, [ आर सी राठौर ] लगता है कि बहुत दिनों से सत्ता विहीन रहने के कारण राहुल गांधी, अपना विवेक खो चुके हैं।यह ठीक है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनके व्यक्तिगत राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं। परन्तु विदेशों में जा कर भारत की आलोचना उनकी राजनीतिक हताशा का प्रतीक है। भारत में रह कर राजनीतिक सामना करने के बजाय विदेश में जाकर अपनी राजनीतिक भड़ास निकालना हताशा का प्रतीक है। क्या इंग्लैंड वालों की हिम्मत है भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सामना करने की।

फिर क्या लाभ अपने राजनैतिक लाभ के लिए विदेशों में रोना रोने की। अगर राहुल गांधी में हिम्मत है तो भारत में रह कर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सामना करना चाहिए। अभी राहुल गांधी राजनीतिक रुप से परिपक्व नहीं हैं, पहले राहुल गांधी को राजनीतिक रुप से परिपक्व होने की आवश्यकता है। राहुल गांधी से बेहतर तो भारत के असउद्दीन ओवैसी का पाकिस्तान के टीवी एंकर को दिया गया ज़वाब रहा,जब पाकिस्तानी टीवी एंकर ने ओवैसी से भारत में रहने वाले मुस्लिमो के विषय में पूछा तो ओवैसी का दो-टूक जवाब था, आप लोग अपनी चिंता करो भारत के मुस्लिम बहुत आराम से हैं।

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