पीएम नरेन्द्र मोदी ने शिवगिरी तीर्थ यात्रा की 90वीं वर्षगांठ और ब्रह्म विद्यालय की स्वर्ण जयंती के अवसर पर अपना संबोधन दिया। मोदी ने कहा कि नारायण गुरुजी ने धर्म को शोधित किया परिमार्जित किया समयानुकूल परिवर्तन किया।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिवगिरी तीर्थ यात्रा की 90वीं वर्षगांठ और ब्रह्म विद्यालय की स्वर्ण जयंती के वर्ष भर चलने वाले संयुक्त समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लिया। पीएम मोदी ने इस दौरान लोगों को संबोधित भी किया। कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली के 7 लोक कल्याण मार्ग पर हुआ।
पीएम मोदी ने कहा कि तीर्थदानम् की 90 सालों की यात्रा और ब्रह्म विद्यालयम् की गोल्डन जुबली, ये केवल एक संस्था की यात्रा नहीं है। ये भारत के उस विचार की भी अमर यात्रा है, जो अलग-अलग कालखंड में अलग-अलग माध्यमों के जरिए आगे बढ़ता रहता है।
मोदी ने बताया कि जब केदारनाथ जी में बहुत बड़ा हादसा हुआ। यात्री जीवन व मृत्यु के बीच जूझ रहे थे। उत्तराखंड में और केंद्र में तब कांग्रेस की सरकार थी। तब मैं गुजरात में मुख्यमंत्री था। तब शिवगिरी मठ से मुझे फोन कॉल आया कि हमारे संत वहां फंस गए हैं, उनका पता नहीं लग रहा है और ये काम आपको करना है। बड़ी-बड़ी सरकारें होने के बाद भी शिवगिरि मठ ने ये काम मुझे दिया। मुझे उसे सेवा कार्य का मौका मिला और सभी संतों को मैं सही सलामत वापस ला पाया।
पीएम ने कहा, ‘वाराणसी में शिव की नगरी हो या वरकला में शिवगिरी, भारत की ऊर्जा का हर केंद्र, हम सभी भारतीयों के जीवन में विशेष स्थान रखता है। ये स्थान केवल तीर्थ भर नहीं हैं, ये आस्था के केंद्र भर नहीं हैं, ये ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के जाग्रत प्रतिष्ठान हैं।’ दुनिया के कई देश, कई सभ्यताएं जब अपने धर्म से भटकीं, तो वहां आध्यात्म की जगह भौतिकतावाद ने ले ली, लेकिन भारत के ऋषियों, संतों, गुरुओं ने हमेशा विचारों और व्यवहारों का शोधन किया, संवर्धन किया।
पीएम मोदी ने किया नारायण गुरुजी को याद
पीएम ने कहा कि नारायण गुरुजी ने धर्म को शोधित किया, परिमार्जित किया, समयानुकूल परिवर्तन किया। उन्होंने रूढ़ियों और बुराइयों के खिलाफ अभियान चलाया और भारत को उसके यथार्थ से परिचित कराया। नारायण गुरुजी ने जातिवाद के नाम पर चल रहे, भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
मोदी ने आगे कहा कि हम सभी की एक ही जाति है- भारतीयता। हम सभी का एक ही धर्म है- सेवा धर्म, अपने कर्तव्यों का पालन। हम सभी का एक ही ईश्वर है- भारत मां के 130 करोड़ से अधिक संतान। हमें ये भी याद रखना चाहिए कि हमारा स्वतंत्रता संग्राम केवल विरोध प्रदर्शन और राजनैतिक रणनीतियों तक ही सीमित नहीं था। ये गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने की लड़ाई तो थी ही, लेकिन साथ ही एक आजाद देश के रूप में हम होंगे, कैसे होंगे, इसका विचार भी था।
आज से 25 साल बाद देश अपनी आजादी के 100 साल मनाएगा, और दस साल बाद हम तीर्थदानम् के 100 सालों की यात्रा भी उत्सव मनाएंगे। इन सौ सालों की यात्रा में हमारी उपलब्धियां वैश्विक होनी चाहिए, और इसके लिए हमारा विजन भी वैश्विक होना चाहिए।
बता दें कि शिवगिरी मठ अप्रैल 2022 से संयुक्त रूप से शिवगिरि तीर्थयात्रा के ‘नवती’ और ब्रह्म विद्यालय की स्वर्ण जयंती के अवसर पर एक साल का कार्यक्रम मनाएगा।
शिवगिरी में मिला था नारायण गुरु को ज्ञान
शिवगिरि केरल में स्थित एक तीर्थस्थान है। शिवगिरी में ही श्री नारायण गुरु को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, यहीं उन्हें मोक्ष मिला। यहां उनकी समाधि भी बनाई गई है। शिवगिरी तीर्थ यात्रा का आयोजन हर साल तीन दिन के लिए 30 दिसंबर से 1 जनवरी तक तिरुवनंतपुरम के शिवगिरी में किया जाता है। श्री नारायण गुरु के निर्देश पर शिवगिरि तीर्थयात्रा और ब्रह्म विद्यालय को शुरू किया गया था।