वाराणसी में ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा के अधिकार मामले में हिंदू पक्ष के हक में फैसला आया है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने सुनाया है।
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित ज्ञानवापी प्रकरण में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें कमेटी ने कहा था कि हिंदू पक्ष से श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा के मामले में किया गया मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है। इलाहाबाद हाई कोर्ट न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई को निचली अदालत में बढ़ाने की अनुमति दे दी है।
मालूम हो कि वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा के अधिकार की मांग करते हुए राखी सिंह तथा नौ अन्य महिलाओं ने वाराणसी की जिला अदालत में सिविल वाद दायर किया था। इस पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने वाद की पोषणीयता पर आपत्ति करते हुए अर्जी दाखिल की थी कि कोर्ट को प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के उपबंधों के तहत अदालत को वाद सुनने का अधिकार नहीं है।
हालांकि, जिला अदालत ने कमेटी की अर्जी खारिज कर दी थी और फैसला दिसंबर में सुरक्षित कर लिया गया था। जिला अदालत से अर्जी खारिज होने के बाद कमेटी ने जिला अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। गौरतलब है कि ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़ी कई याचिकाएं विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। कुछ मामले हाईकोर्ट में भी लंबित है। सुप्रीम कोर्ट भी मां श्रृंगार गौरी प्रकरण की मॉनिटरिंग कर रहा है।