यूक्रेन की टर्नओपिल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए गए डाक्टर अतीक अहमद का बेटा अमान अहमद घर चार दिन की मुसीबत झेलकर वापस लौट आया। इस सफर के दौरान युद्ध के धमाकों के खौफनाक मंजर के बीच उसे 12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा।
मुरादाबाद : यूक्रेन की टर्नओपिल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए गए डाक्टर अतीक अहमद का बेटा अमान अहमद घर चार दिन की मुसीबत झेलकर वापस लौट आया। इस सफर के दौरान युद्ध के धमाकों के खौफनाक मंजर के बीच उसे 12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। घर पहुंचते ही उसने अपने दर्द सुनाया तो सभी की आंखें भीग गईं। मां ने लाडले को गले लगाकर खुदा का शुक्र अदा किया।
उत्तर प्रदेश के जनपद मुरादाबाद के मुहल्ला चक्कर की मिलक निवासी डाक्टर अतीक अहमद ने अपने बेटे अमान अहमद को एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए टर्नओपिल मेडिकल यूनिवर्सिटी में भेजा था। अमान का पहला ही साल है। इसलिए वह वहां के बारे में ज्यादा कुछ जानता भी नहीं था। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध शुरू होने के बाद अमान और उसके साथी खौफजदा हो गए। अमान ने बताया कि टर्नओपिल के आसपास के शहरों में बमबारी हो रही थी।
26 फरवरी को टर्नओपिल में भी धमाका हुआ। इसके बाद उसने अपने साथियों के साथ घर वापसी के लिए प्रयास शुरू किए। किराए की बस लेकर किसी तरह रोमानिया बार्डर पहुंचे। बार्डर से निकलने के बाद कुछ राहत मिली। वहां शिविर में छात्रों को रखा गया। इसके बाद बुखारेस्ट स्थित हवाई अड्डे पर पहुंचे। हवाई अड्डे तक पहुंचने के लिए उन्हें 12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। अमान घर लौटा तो मां रेशमा की आंखें भर आईं। बहन सानिया और भाई जीशान ने भी गले लगाकर खुदा का शुक्र अदा किया। रिश्तेदार और मुहल्ले के लोग भी हालचाल लेने के लिए पहुंच गए।
सायरन की आवाज आते ही सहम जाते थेः टर्नओपिल में भी युद्ध के चलते हालात सही नहीं हैं। शाम सात बजे पूरे शहर की लाइटें बुझा दी जाती थी। सभी छात्रों को बंकर में भेज दिया था। वहां इतने लोग थे कि सांस लेना भी मुश्किल होता था। 15 डिग्री तापमान में बिना खाए जीवन गुजारना बेहद कठिन था। लेकिन, मजबूरी थी। उस समय तो यही था कि किसी तरह से जान बच जाए और घर पहुंचे। परिवार के लोगों से भी बात ठीक से नहीं हो पा रही थी। इसकी वजह से सभी परेशान हो रहे थे। खुदा का करम रहा कि वह मुश्किल सफर करके लौट आया। अब माहौल सही होगा सभी वहां जाऊंगा।