भारत में कोविड-19 के कारण हुई मौतों के लेकर भ्रामक दावों का प्रचार किया जा रहा है। एक रिसर्च पेपर के आधार पर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि देश में कोविड-19 के कारण मृत्यु दर आधिकारिक गणना से बहुत अधिक है।
नई दिल्ली, भारत में कोविड-19 के कारण हुई मौतों के लेकर भ्रामक दावों का प्रचार किया जा रहा है। एक रिसर्च पेपर के आधार पर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि देश में कोविड-19 के कारण मृत्यु दर आधिकारिक गणना से बहुत अधिक है। रिसर्च पेपर में बताया गया है कि नवंबर 2021 तक देश में 32 से 37 लाख लोगों की मौत हुई है। जबकि आधिकारिक आंकड़ों में सिर्फ 4.6 लाख लोगों की मृत्यु के बारे में ही जानकारी दी गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स को सिरे से नकारते देश की केंद्र सरकार ने साफ किया है कि रिसर्च पेपर के आंकड़े पूरी तरह से गलत हैं। यह आंकड़े किसी भी तरह के तथ्यों पर आधारित नहीं हैं, साथ ही यह आंकड़े पूरी तरह से काल्पनिक हैं। सरकार के तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक देश में मृत्यू और कोरोना के कारण हुई मौतों की रिपोर्ट करने की एक मजबूत प्रणाली है। जिसके तहत ग्राम पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर और राज्य स्तर तक शासन विभिन्न स्तरों पर नियमित रूप से आंकड़े संकलित करता है।
सराकर ने प्रणाली के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि राज्यों द्वारा स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट किए जाने के बाद केंद्र द्वारा सभी मौतों का संकलन किया जाता है। साथ ही केंद्र ने राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि यदि क्षेत्र स्तर पर कुछ मौतों की जानकारी नहीं जा सकी है। तो वो अपने राज्य में हुई मौतों के आंकड़ों को अपडेट कराएं। ताकि कोरोना महामारी के कारण हुई मौतों को लेकर तस्वीर साफ हो सके।
मीडिया रिपोर्ट्स ने जिस रिसर्च पेपर को आधार बनाते हुए दावा किया है। उसमें चार अलग-अलग क्षेत्रों का जिक्र है, इसमें केरल की जनसंख्या, भारतीय रेलवे के कर्मचारी, विधायक – सांसद और कर्नाटक में स्कूल शिक्षकों को शामिल किया गया है। रिसर्च में राष्ट्रव्यापी मौतों का अनुमान लगाने के लिए त्रिभुज प्रक्रिया को इस्तेमाल में लाया गया है। सरकार ने कहा है कि इस तरह की रिपोर्ट सीमित डाटा के साथ तैयार की जाती हैं। लेकिन इन रिपोर्ट्स को जारी करने से पहले बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि भारत जैसे बड़े देश के सभी राज्यों के आंकड़े एक रिपोर्ट में संकलित करना जोखिम भरा काम है। इसमें गलतियां होने के आसार होते हैं और भ्रामक आंकड़े समाज के बीच पहुंचते हैं।