यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों के बाद भी अधिकारी फोन करने पर माननीयों की नहीं सुन रहे हैं। अब सांसदों-विधायकों के फोन करने पर प्रोटोकाल का पालन न करने वाले अधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही होगी। संसदीय कार्य विभाग ने सभी विभागों को इस संबंध में शासनादेश जारी किया है। बता दें कि मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र भी इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दे चुके हैं।
लखनऊ, शासन के तमाम निर्देशों के बावजूद मंडल और जिला स्तरीय अधिकारी विधायकों की फोन काल को गंभीरता से नहीं लेते हैं। विधायकों के फोन करने पर अधिकारियों द्वारा उनके साथ समुचित सम्मान के साथ वार्ता नहीं की जाती है। मिस्ड काल होने पर अधिकारी पलट कर विधायकों को फोन भी नहीं करते हैं। ऐसा करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही की जाएगी। संसदीय कार्य विभाग की ओर से शुक्रवार को सभी विभागों को इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया गया है। शासनादेश में कहा गया है कि विधान सभा सदस्यों के प्रोटोकाल उल्लंघन संबंधी प्रकरणों पर सदन की संसदीय अनुश्रवण समिति की बैठकों में विधायकों के प्रति जिला स्तरीय अधिकारियों के अनुचित व्यवहार पर विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना अप्रसन्नता जता चुके हैं।
संसदीय कार्य विभाग से अपेक्षा की गई है कि सांसदों, विधायकों के प्रति शिष्टाचार/अनुमन्य प्रोटोकाल के अनुपालन के लिए पूर्व में जारी शासनादेशों का कड़ाई से अनुपालन कराया जाए। शासनादेश में विभागों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने मंडल व जिला स्तरीय अधिकारियों को निर्देश दें कि वे अपने क्षेत्र के सांसदों-विधायकों के मोबाइल नंबर सेव करें और इसकी अनुपालन रिपोर्ट 15 दिवस में प्राप्त कर विभाग की संकलित सूचना संसदीय कार्य विभाग को एक माह में उपलब्ध कराएं।
विभागों को अधिकारियों को यह भी निर्देश देने के लिए कहा गया है कि सांसदों, विधायकों का फोन आने पर वह उनकी बातों को सम्मानपूर्वक सुनें और शालीनता से जवाब दें। यदि अधिकारी बैठक में होने के कारण या अन्य किसी वजह से फोन नहीं रिसीव कर पाते हैं तो वे सांसदों-विधायकों को मैसेज के जरिये शीघ्र काल बैक करने की सूचना देंगे। फोन पर प्रकरण की जानकारी होने पर उसे निस्तारित करते हुए सांसदों और विधायकों को इसकी जानकारी भी देंगे।