सीतापुर के गांजर क्षेत्र में एक रहस्यमयी नीम के पेड़ में अचानक आग लग गई। फायर ब्रिगेड की कड़ी मशक्कत के बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका। हालांकि हरे नीम के पेड़ में आग लगने से ग्रामीण आचंभित हैं।
सीतापुर, गांजर क्षेत्र में पुराने नीम के पेड़ में आग लग गई। तमाम कोशिश के बाद भी गांव वाले आग नहीं बुझा पाए और पेड़ पूरी तरह से जलकर राख हो गया। अब गांव वाले इसे देवी का चमत्कार मानने लगे हैं। इस खबर को सुनकर आसपास के लोग काफी संख्या में मौके पर आ रहे हैं। वहां श्रद्धाभाव दिखा कर दर्शन कर रहे हैं। मामला सकरन ब्लाक के ताहपुर गांव का है।
गांव के रोजगार सेवक श्याम सुंदर ने बताया, ताहपुर गांव के पूरब में नीम का पेड़ करीब 100 साल से अधिक पुराना था। ताहपुर गांव के गंगाराम चौरसिया ने बताया, यह नीम का पेड़ हरा-भरा था लेकिन, बुधवार सुबह इसमें अचानक आग लग गई। गांव वालों ने आग पर काबू पाने को बोरिंग-इंजन से पूरे दिन पानी की बौछार की लेकिन, कामयाब नहीं हुए तो पुलिस और अग्निशमन विभाग को खबर की। मौके थाना पुलिस भी आई। फायरब्रिगेड की आई और पानी बौछार की, लेकिन वह भी पेड़ को जलने से बचा नहीं पाए। रोजगार सेवक ने बताया, पेड़ में आग लगे आज शनिवार को चार दिन हो गए हैं। पेड़ के तनों में अभी भी आग जल रही है। धुआं उठ रहा है।
गांव वाले पुराने पेड़ को देवी स्थान मान करते थे पूजाः ग्राम रोजगार सेवक श्याम सुंदर ने बताया, ताहपुर गांव के पूरब में पुराना नीम का पेड़ था। इस पेड़ से 300 मीटर दूरी पर घाघरा नदी है। आसपास के गांव वाले पुराने नीम के पेड़ को शीतला माता की उपाधि देकर उसे पूजते थे। शादी-ब्याह में भी इस नीम के पेड़ का पूजन शीतला माता मंदिर के तौर पर होता था।
डीएफओ बोले, चमत्कारिक शक्ति भी हो सकती हैः डीएफओ बृजमोहन शुक्ल का कहना है कि पेड़ में ऐसे कैसे आग लग सकती है। किसी ने लगाई होगी यदि पेड़ में आग लगाई नहीं गई है तो फिर चमत्कारिक सकती भी हो सकती है। उन्होंने यह भी पूछा कि पेड़ कौन सा है। नीम का पेड़ होने की बात पर डीएफओ ने कहा, चमत्कारिक सकती हो सकती है।
कृषि वैज्ञानिक ने कहा, पेड़ में ज्वलनशील जीवदृव्य होते हैंः कृषि वैज्ञानिक डा. दया शंकर श्रीवास्तव का कहना है कि पेड़ में अचानक आग लगने की गुंजाइश नहीं रहती है। वैसे पेड़ के तनों में जीव द्रव्य होते हैं जो ज्वलनशील भी होते हैं। फिलहाल किसी पेड़ में आग लगी है तो उसे अंध विश्वास से न जोड़े। पुराने समय में लकड़ियों की रगड़न से आग उत्पन्न की जाती थी। ऐसे ही तेज हवा के झोकों से तनों के आपस में बार-बार रगड़ने से जंगलों मेें आग लग जाती है।