पाकिस्तान में जारी राजनीतिक संकट का समाधान जल्द निकलने के आसार कम ही दिखाई दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में नेशनल असेंबली में रविवार को जो कुछ हुआ उस पर सुनवाई जारी है। वहीं जानकारों की राय में यदि इस पर फैसला जल्द नहीं आया तो सही नहीं होगा।
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। पाकिस्तान में बीते तीन दिनों से ही सियासी पारा उफान पर है। इमरान खान और समूचा विपक्ष आमने सामने है और फिलहाल गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में डाल दी गई है, जहां इसकी सुनवाई जारी है। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ कर रही है जिसका नेतृत्व चीफ जस्टिस आफ पाकिस्तान कर रहे हैं। एआरवाई न्यूज के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान नेशनल असेंबली का रविवार को हुई कार्यवाही का रिकार्ड तलब किया है। सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही तक स्थगित हो गई हैै।
कोर्ट ने ये भी कहा है कि इतने दिनों के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कैसे गैरकानूनी हुई। चीफ जस्टिस ने इस दौरान कहा कि कोर्ट केवल डिप्टी स्पीकर के अधिकार क्षेत्र तक ही सीमित है। सांसद शेरी रहमान ने इमरान खान को गद्दार करार देते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने संविधान का खुला मजाक उड़ाया है। इसलिए उन्हें सबक सिखाना जरूरी हो गया है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि कोर्ट का फैसला इमरान खान को जरूर झटका देगा। पत्रकारों बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि विपक्ष चुनाव से नहीं भाग रहा है।
इमरान खान को विपक्ष ने बताया चोर
इस बीच विपक्ष ने इमरान खान को पाकिस्तान के इतिहास में सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी व्यक्ति बताया है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि जब इमरान खान के पास सरकार बचाने का कोई रास्ता नहीं रहा तो उन्होंने डिप्टी स्पीकर के रास्ते संविधान का उल्लंंघन किया। विपक्ष ने ये भी कहा है कि जिस किसी ने इमरान खान का हुक्म माना है उन सभी के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 6 के खिलाफ मामला चलाया जाएगा। पीएमएल-एन के नेता शाहबाज शरीफ का कहना है कि यदि अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कानूनी अड़चन थी तो स्पीकर ने इसको आठ मार्च को क्यों स्वीकार किया था।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
नेशनल असेंबली में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के डिप्टी स्पीकर के फैसले के खिलाफ मामले की सुनवाई के दौरान सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पार्टियों को सुनने और उनकी राय जानने की बात कही थी। अब इस मामले की आज भी सुनवाई होनी है। पाकिस्तान की मीडिया में इस मुद्दे पर जारी बहस के बीच ये बात सामने निकलकर आई है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस मामले में फैसला लेने में देर कर दी है। ऐसे में यदि और अधिक देरी की गई तो ये पाकिस्तान के लिए अच्छा नहीं होगा।
भारत और ब्रिटेन लोकतंत्र की मिसाल
पाकिस्तान मीडिया में चली बहस के दौरान संसदीय प्रणाली में कानून और संविधान का पालन करने वाले देशों में भारत का नाम भी लिया गया। जियो न्यूज पर चली बहस के दौरान पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने कहा है कि ब्रिटेन या भारत में संविधान का कभी उल्लंंघन नहीं किया गया। उन्होंने ये भी कहा कि ये देश संसदीय प्रणाली और लोकतंत्र की मिसाल रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान में इस तरह की चीज कभी देखने को ही नहीं मिली हैं। इस बीच चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है वो तीन माह के अंदर देश में आम चुनाव नहीं करवा सकता है। आयोग की तरफ से कहा गया है कि ये किसी सूरत से भी संभव नहीं है।
जल्द होना चाहिए फैसला
इस दौरान बहस में शामिल अन्य मेहमानों का कहना था कि पाकिस्तान के बनने से लेकर अब तक कई मर्तबा इस तरह की स्थिति देश में बनी है जब लोकतंत्र और संविधान का मजाक बनाया गया और फिर समय निकलने के साथ हम आगे बढ़ गए। लेकिन उस दौरान जो कुछ हुआ उसने दूसरे लोगों के लिए वही रास्ता इख्तियार करने का एक जरिया खोल दिया। लिहाजा ये जरूरी है कि इस विकल्प को बंद किया जाए। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को इस बारे में जल्द ही फैसला सुनाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने किया कोर्ट के आदेश का उल्ल्ंघन
हामिद मीर का यहां तक कहना था कि रविवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए एक आदेश पारित किया था, जिसमें कहा गया था कि उनकी इजाजत के बिना राष्ट्रपति या फिर प्रधानमंत्री कोई फैसला नहीं सुनाएंगे। इसके बाद भी राष्ट्रपति ने इमरान खान को केयरटेकर प्रधानमंत्री के तौर पर काम करने का आदेश पारित कर कोर्ट की अवहेलना की है। ऐसे में पीएम के साथ राष्ट्रपति ने भी संविधान का मजाक बनाया है।