सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका, कहा- दिल्ली के लोग वायु प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित, ये वाहनों से बढ़ रहा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली सरकार की 4261 ई आटो रिक्शा परमिट की अधिसूचना को चुनौती देने वाली बजाज आटो की अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली निवासी वायु प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित हैं जो कि वाहनों से बढ़ता है।

 

 नई दिल्ली,  सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली सरकार की 4,261 ई आटो रिक्शा परमिट की अधिसूचना को चुनौती देने वाली बजाज आटो की अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली निवासी वायु प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित हैं, जो कि वाहनों से बढ़ता है। बजाज आटो लिमिटेड ने अर्जी दाखिल कर कोर्ट से दिल्ली सरकार के ई आटो रिक्शा को परमिट जारी करने के लिए आनलाइन आवेदन मंगाने का निर्णय रद करने की मांग की थी। उसकी दलील थी कि सिर्फ ई आटो रिक्शा को परमिट देने की अधिसूचना मनमानी और भेदभाव पूर्ण है क्योंकि इसमें अन्य स्वच्छ ईंधन से चलने वाले वाहनों को शामिल नहीं किया गया है।

दिल्ली सरकार की 4,261 ई रिक्शा परमिट की अधिसूचना को चुनौती देने वाली बजाज आटो की अर्जी खारिज की

जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की ओर से मामले में आए जवाबों और नियम कानूनों को देखने के बाद याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार का ई आटो रिक्शा के पंजीकरण के लिए आनलाइन आवेदन आमंत्रित करने का विज्ञापन गलत और मनमाना नहीं है क्योंकि यह केंद्र सरकार की इलेक्ट्रिक वाहन नीति का समर्थन करता है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली निवासी वायु प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित हैं और वाहन इसमें इजाफा करते हैं। कोर्ट ने कहा कि सीएनजी के बीएस 6 मानक पूरा करने वाले आटो भी थोड़ा कार्बन उत्सर्जित करते हैं।

दिल्ली सरकार ने बजाज आटो की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि ई रिक्शा की सीएनजी आटो से तुलना नहीं की जा सकती। राज्य सरकार ने कहा कि परिवहन सेक्टर को कार्बन रहित बनाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों पर स्विच करने का प्रस्ताव है। उसने केंद्र की इलेक्टि्रक वाहनों को बढ़ावा देने की नीति का हवाला दिया। दिल्ली सरकार ने कहा कि दिल्ली में अभी 92,000 सीएनजी आटो रिक्शा हैं जिनमें पुरानों को हटाने की प्रक्रिया लगातार चलती रहती है।

मामले में न्यायमित्र वरिष्ठ वकील एडीएन राव ने कहा कि यह याचिका खारिज करने योग्य है क्योंकि यहां परमिट का नहीं बल्कि सिर्फ रजिस्ट्रेशन फीस जमा कराने का मामला है।इस मामले में दिल्ली सरकार ने गत 18 अक्टूबर को विज्ञापन निकाला था जिसमें 4,261 ई आटो रिक्शा के आन लाइन परमिट के लिए आवेदन मांगे गए थे। बजाज आटो ने इसे चुनौती देते हुए कहा था कि सिर्फ ई आटो रिक्शा के आवेदन मंगाना अन्य स्वच्छ ईधन से चलने वाले वाहनों के साथ भेदभाव है। यह परोक्ष रूप से सीएनजी आटो पर प्रतिबंध लगाना है। इससे एक वर्ग की मार्केट संभावनाएं समाप्त होती हैं जो कि रोजगार के अधिकार का हनन हैं।

बजाज आटो का कहना था कि वह सीएनजी के बीएस 6 आटो रिक्शा बनाता है जो कि 90 फीसद प्रदूषण कम करते हैं ऐसे में सिर्फ ई आटो को परमिट देने से उसके रोजगार और बराबरी के अधिकार प्रभावित होते हैं। बजाज आटो की ओर से यह भी दलील दी गई थी कि ई रिक्शा को नियमों के मुताबिक परमिट की जरूरत नहीं है ऐसे में दिल्ली में जो एक लाख आटो रिक्शा की कैप यानी सीमा है उसमें ई आटो रिक्शा को न शामिल माना जाए। लेकिन कोर्ट ने यह दलील ठुकरा दी।

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