सेना की ताकत बढ़ाने में जुटा चीन, नौसेना में टाइप 15 टैंक शामिल, जानें इसकी क्षमता

चीन लगातार अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाता जा रहा है। उसने अपनी नौसेना में हल्के टाइप 15 टैंक शामिल कर लिए हैं। यह टैंक बड़ी तेजी से आगे बढ़कर भीषण हमला करते हैं। जानें इस नए नवेले टैंक की क्षमता…

 

बीजिंग, एजेंसियां। चीन लगातार अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाता जा रहा है। उसने अपनी नौसेना में हल्के टाइप 15 टैंक शामिल कर लिए हैं। ग्लोबल टाइम्स के हवाले से एशिया टाइम्स में बताया गया है कि इस टैंक को केवल पठारों में पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) की तैनाती तक सीमित नहीं रखा जाना है। नौसेना के लिए यह टैंक एकदम उपयुक्त हैं। यह टैंक बड़ी तेजी से आगे बढ़कर भीषण हमला करते हैं।

इसमें 105 एमएम राइफल गन लगी हुई है। इसमें थर्मल स्लीव्स और फ्यूम एक्ट्रैक्टर लगे हैं। इसकी मारक क्षमता तीन हजार मीटर (9,843 फीट) है। टाइप 15 टैंकों ने अदन की खाड़ी और यमन रक्षा अभियान समेत कई अभियानों में इसका सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया जा चुका है। पीएलए के टैंकों की खेंप में टाइप 15 टैंक सबसे नए हैं। इसे पहली बार अक्टूबर, 2019 में राष्ट्रीय दिवस की सैन्य परेड में प्रदर्शित किया गया था।

इस बीच चीन ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में पिछले करीब एक साल से तैनात अपने 90 फीसद सैनिकों को बदल दिया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के इस कदम से लगता है कि इलाके के बेहद सर्द मौसम और उससे जुड़ी स्थितियों की वजह से उसके सैनिक बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।चीन ने पिछले साल अप्रैल-मई से करीब 50 हजार सैनिकों को पूर्वी लद्दाख सेक्टर में भारतीय सीमा के नजदीक तैनात कर रखा है।

पैंगोंग झील सेक्टर में अग्रिम स्थानों से सीमित संख्या में सैनिकों को पीछे हटाने के बावजूद उसने सेक्टर में सैनिकों की तैनाती बरकरार रखी है। सूत्रों के मुताबिक, पैंगोंग झील सेक्टर में तनाव वाले क्षेत्रों में तैनाती के दौरान भी चीन ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अपने सैनिकों को करीब-करीब रोज बदल रहा था और उनकी गतिविधियां भी बेहद सीमित हो गई थीं।

यहां यह उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना ऊंचाई वाले इलाकों में अपने सैनिकों को दो साल के लिए तैनात करती है और करीब 40-50 फीसद सैनिकों को हर साल बदला जाता है। हालांकि भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के सैनिकों को इन परिस्थितियों में कभी-कभी दो साल से भी अधिक समय के लिए तैनात किया जाता है।

 

बता दें कि भारत और चीन ने पिछले साल अप्रैल-मई से पूर्वी लद्दाख और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगते अन्य इलाकों में भारी संख्या में सैनिकों को तैनात कर रखा है। चीन के आक्रामक रुख की वजह से दोनों सेनाओं का कई बार आमना-सामना भी हो चुका है। चीन की ओर से शुरुआती आक्रामकता के बाद भारतीय पक्ष ने जबर्दस्त पलटवार किया था और सभी स्थानों पर चीन को रोक दिया था।

इसके बाद भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर ऊंचाई वाले रणनीतिक रूप से अहम स्थानों पर मोर्चाबंदी करके चीन को आश्चर्य में डाल दिया था। ऊंचाई वाले ये इलाके ऐसे थे जहां से भारतीय सेना चीन पर भारी थी।इस साल की शुरुआत में दोनों पक्षों ने पैंगोंग झील इलाके के अपने-अपने मोर्चो को खाली करने और वहां गश्त रोकने पर सहमति व्यक्त की थी।

हालांकि इन मोर्चों से सैनिकों को हटाए जाने के बावजूद दोनों पक्ष आमने-सामने डटे हुए हैं। इस साल गर्मियों की शुरुआत में चीनी सैनिक उन प्रशिक्षण क्षेत्रों में लौट गए थे जहां से पिछले साल उन्हें भारतीय सीमा की ओर भेजा गया था। हालांकि भारतीय सेना अभी भी हालात पर करीब से नजर रख रही है। सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे लगातार लद्दाख सेक्टर का दौरा कर रहे हैं और वहां तैनात सैनिकों को हालात से निपटने के निर्देश दे रहे हैं

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